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________________ 152 पाल्लीवाल जैन जाति का इतिहास प्रश्रय दे रही है और इसलिए उन्हे उसके दुर्व्यवहार को झेलना होगा। किन्तु ब्रिटिश सरकार ने हस्तक्षेप करना उचित नही समझा। अन्त मे हार कर पालीवालो ने अपने आत्म सम्मान की रक्षा करने के लिए जैसलमेर छोडना ही उचित समझा। 84 गाँवो के पाच हजार परिवारो ने तह तय किया कि वे एक रात एक निश्चित पहर मे अपने गाँव छोड देगे । 'हमारे बाद मे गांव खडहर बन जायेगे और इसमे कोई नही बस पायेगा'। इन दर्द भरे शब्दो के साथ उन्होने अपने गांव छोड दिये । इसके बाद वे लोग कहाँ गये यह तो पता नहीं लेकिन आज वे ब्राह्मण पालीवाल नाम से पूरे राजस्थान ने बिखरे हुए है। पालीवाल गाँवो के खडहरो से यह सिद्ध होता है कि उन्हे अच्छे गाँव बसाने का ज्ञान था । जब जसलमेर के ग्राम गाँवो मे छप्पर पडे झोपडो मे लोग रहते थे, तब यहाँ उनके लिए पत्थर के घर बनवाये गये थे। मुख्य सडक गाँव के बीच से निकाली गयी थी। ज्यादातर घरो में जानवरो के लिए पानी पीने के स्थान की अलग से व्यवस्था की गयी थी। गाँव मे ही थोडी दूरी पर चरागाह बनाया गया था। गाँव के बीच मे भव्य और ऊँचा उठा हुमा मन्दिर था। हर गाव का अपना श्मशान था, जिसमे छोटेछोटे स्मारक बनाने का रिवाज था । इन स्मारको से यह भी पता चलता है कि पालीवाल ब्राह्मणो मे भी सती प्रथा प्रचलित थी। जैसलमेर मे स्थित पालीवालो के 84 गाँवो में से कुलधरा सबसे आकर्षक है । सुप्रसिद्ध फिल्म-निर्माता मृणाल सेन न अपनी बहुचर्चित फिल्म 'जनेसिस' की पूरी शूटिग यहा पर ही की कुछ लोगो का मत ह कि कुलधरा बनियो की वस्ती थी । लेकिन ऐसा मानना गलत है । पालीवाल ब्राह्मण व्यापार मे इतने अधिक दक्ष थे कि शायद इसी कारण बहुत से लोग उन्हे बनिया समझ बैठे । वस्तुत. वहाँ के निवासी पालीवाल ब्राह्मण ही थे।
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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