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________________ पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास तथा मातामह के साथ ही रहे । आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अछनेरा के स्कूल मे पूर्ण की। एम० ए० (हिन्दी) तथा एल० टी० की परीक्षाएँ आगरा विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त प्रापने विभिन्न शिक्षण सस्थानी में अध्यापन का कार्य किया । आपने सबसे अधिक समय (25 वर्ष) क्रे० जी० इन्टर कालेज, श्रागरा में अध्यापन कार्य किया । 130 विद्यार्थी काल से ही आपने देश के स्वतन्त्रता संग्राम मे भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। आपने कई आन्दोलनो में भाग लिया । कुछ समय आप आगरा की शहर काग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे । प्रारम्भ में आप आर्य समाज से बहुत प्रभावित थे, लेकिन परम पूज्य क्षुल्लक श्री स्वरूप सागर जी महाराज तथा ब्रह्मचारी श्री मूलशकर जी देसाई के सम्पर्क में आने के बाद आपकी रुचि जैन धर्म के प्रति बढती गई। जैन धर्म के प्रति विशेष रुचि देखकर आपके साले श्री सुगनचन्द ने प्रापको कई शास्त्र भेट किये । फिर तो आपने अनेक आगम ग्रन्थो का अध्ययन किया । आप पिछले पच्चीस वर्षो से नित्य प्रति सायकाल धूलिया गज, आगरा स्थित श्री पल्लीवाल दिगम्बर जन मन्दिर मे शास्त्र प्रवचन करते I थे । आपकी विद्वता के कारण बाहर के लोग भी अपने यहाँ शास्त्र प्रवचन के लिए आपको बुलाते रहते थे । आपकी गिनती बड़े पडितो में थी । आप हमेशा खद्दर पहनते थे । चमडे का जीवन भर के लिए त्याग था । पिछले 25 वर्षों मे आपने जमीकद का भी सर्वथा त्याग कर दिया था । आपने कभी कोई ट्यूशन नही किया । जब कभी प्रापको बाहर धार्मिक प्रवचनो आदि के लिए जाना पडता था, तब कभी भी समाज से कोई भेट स्वीकार नही की, बल्कि
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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