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________________ 124 पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास की एक मूर्ति उत्तर भारत में भी स्थापित की जाय । सच्चे मन से की गई उनकी यह इच्छा भी पूर्ण हुई। उन्होने दक्षिण में कारकल के निकट मगलपादे नामक पहाडी मे से 130 टन वजन की तथा 45 फुट ऊँची प्रतिमा बनवाई। भगवान बाहुबली की इस विशाल प्रतिमा ने 12 जून 1975 को फिरोजाबाद में पदार्पण किया। सेठ जी को उक्त धार्मिक सेवायो को देखते हुये, 20 अक्टूबर 1972 को प्रापका दिल्लो मे प्रभिनन्दन किया गया तथा आपको 'श्रावक शिरोमणि' की उपाधि से विभूषित किया गया। प्राप अपने जीवन के अन्तिम समय तक धार्मिक सेवाप्रो मे लगे रहे । 12-13 जनवरी सन् 1976 की रात्रि को कुछ प्रातताइयो ने सेठ जी की निर्मम हत्या कर दो तया जैन समाज न एक महान् धर्म प्रेमी को हमेशा के लिए खो दिया। आज सेठ जी द्वारा स्थापित 'श्री छदामीलाल जन ट्रस्ट' के द्वारा निम्नलिखित सस्थानो का सचालन हो रहा है- (1) श्री दिगम्बर जैन महावीर जिनालय, (2) श्री मोतीलाल जैन पार्क, (3) श्री कानजी पुस्तकालय, (4) श्री वर्णी स्वाध्याय कक्ष, (5) श्रीमती शर्बतीदेवी जैन धर्मशाला, (6) श्री सी एल जैन डिग्री कॉलेज, (71 श्री छदामीलाल जन जूनियर हाईस्कूल, हिरनगाँव, (8) श्री चन्द्रपाल दिगम्बर जैन पाठशाला, चंद्रवार, (9) श्री मोतीलाल जैन धर्मार्थ औषधालय । सेठ जी के नाम से इस ट्रस्ट द्वारा ही एक 'मैटरनिटी हॉस्पीटल' (श्रीमती कुन्दन बाई महिला चिकित्सालय) तथा त्रिमूर्ति-बालोद्यान भी बनवाया गया है। सेठ जी की उक्त धार्मिक एव सामाजिक सेवामो के कारण सेठ जी का नाम अमर रहेगा। (5-20) मुनि श्री क्षमासागर जी मापका गृहस्थावस्था का नाम श्री करोडीमल था। पाप
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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