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________________ 82 पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास (4-14) इतिहास लेखन पल्लीवाल जाति के इतिहास से सम्बन्धित सबसे प्राचीन पुस्तक 'पल्लीवाल- परीक्षा' का उल्लेख मिलता है । यह हस्तलिखित पुस्तक सवत् 1300 में लिखी गई थी। इसका उल्लेख 'महाकवि चन्द के वशधर' नामक लेख मे प्रो रमाकान्त त्रिपाठी 23 ने किया है। लेकिन यह पुस्तक अनुपलब्ध होने के कारण इसकी कोई विशेष जानकारी नही है । अन्य बहुत सी जातियो की तरह पल्लीवाल जाति में भी राय भाट (चारण भाट) का प्रचलन था । इन रायो का मुख्य कार्य जाति के विभिन्न वशो / गोत्रो को वशावलियो को बनाना तथा उन्हे पूर्ण करना था । यदि जाति मे कुछ विशेष कार्य हुआ हो या कोई विशेष घटना घटी हो तो उसका भी वे दस्तावेज तैयार करते थे । पल्लोवाल जाति से सम्बन्धित वंशावलियो तथा घटनाओ का पूर्ण दस्तावेज 'प्रार्थना - पुस्तक' नामक हस्त लिखित कृति में उपलब्ध है । लेकिन इसमें क्रमवार घटनाओ का उल्लेख न होने तथा बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाम्रो को छोड देने के कारण इसे इतिहास नही कहा जा सकता है । प्रस्तुत इतिहास से पूर्व जाति के इतिहास को क्रमबद्ध तरीके से लिखने के दो प्रयास हुये है । सन् 1922-23 मे सर्व प्रथम 'लघु पल्लीवाल इतिहास' लिखा गया। इसका प्रकाशन सतना ( रीवा) मे हुआ था। सन् 1962 मे पल्लीवाल जैन इतिहास' का प्रकाशन भरतपुर से हुआ था । इसके लेखक श्री दौलतसिंह लोढा 'अरविन्द' थे । भरतपुर से प्रकाशित इस इतिहास को लिखने में श्वेताम्बर पल्लीवालो से सम्बन्धित लेखो / मूर्ति लेखो का विशेष आधार लिया गया था | दिगम्बर पल्लीवालो के ऐतिहासिक तथ्य तथा मूर्ति लेख प्रादि का उपयोग नही किया गया था । श्रत यह इतिहास
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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