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________________ पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास वर्ष की अवधि तक समाज की सकुचित विचारधारा को दूर करने तथा समाज को संगठित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया । तदोपरान्त कार्यकर्ताओ के अभाव मे यह संस्था लगभग समाप्त हो गई । इस सस्था के सगठनात्मक कार्यों में सबसे बडी उपलब्धि पल्लीवाल समाज के विभिन्न घटको ( मुरैना तथा ग्वालियर के पल्लीवाल, कन्नौज, अलीगढ तथा फिरोजाबाद के पल्लीवाल, सिकन्दरा के सैलवाल, पालम तथा अलवर के जैसवाल ) मे आपस मे विवाह सम्बन्ध स्थापित करवाना रही। इन सस्थाओ से सम्बन्धित लोगो मे मुख्य थे - मास्टर कन्हैयालाल जी, रायसहाब कल्याणराम जी, सेठ रामचन्द जी तथा सेठ गोपीचन्द जी आदि । 80 - समाज को फिर से सगठनात्मक नेतृत्व प्रदान करने के लिए समय-समय पर विभिन्न लोगो द्वारा प्रयत्न किये जाते रहे। उसी के फलस्वरूप 20 अप्रैल सन् 1969 को 'श्री अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा' की स्थापना की गई। इस सस्था को स्थापित करने मे डा० क्रान्ति कुमार जैन, डा० किशनचन्द जैन, श्री ब्रिजेन्द्र कुमार जैन तथा श्री प्रकाश चन्द जैन का मुख्य योगदान रहा । (4-12) पत्रकारिता समाज का बुद्धिजीवी वर्ग इस बात का अनुभव कर रहा था कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक समाज की सूचनाएँ पहुॅचाई जाऐ तथा सदियो से चली आ रही रूढिवादिता तथा कुरीतियों को दूर करने की अपील की जाए, जब तक ऐसा नही होगा, सम्थाम्रो के प्रयोजन अधिक सफल नही होगे । इन्ही उद्देश्यो की पूर्ति के लिए समाज की पत्रिका निकालने का प्रयत्न लगभग 60 वर्ष पूर्व किया गया। सन् 1925 में 'पल्लीवाल जैन' नामक पत्रिका का प्रकाशन
SR No.010432
Book TitlePallival Jain Jati ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnilkumar Jain
PublisherPallival Itihas Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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