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________________ (त) 1/1 सवि (तुम्ह) 1/1 स (अप्प) 1/1 (जोइ) 8/1 अप्पा जोइ -प्रात्मा =हे योगी 80 दयाविहीणउ धम्मडा णाणिय कहवि जोइ बहुए सिलिल. विरोलियइ कर चोप्पडा होइ (दया)-(विहीण) भूकृ 1/1 =दया से रहित अनि 'अ' स्वार्थिक (धम्म+अड) 1/1 'अड' स्वा धर्म (णाणिय) 8/1 वि 'य' स्वा =हे ज्ञानी अव्यय -किसी तरह भी अव्यय =नहीं (जोइ) 8/1 =हे योगी (बहुअ) 3/1 वि =बहुत [(सलिल)-(विरोल-विरोलिय =विलोडन किये हुए पानी से →विरोलियम)भूकृ3/1 'अ' स्वा] (कर) 1/1 -हाथ (चोप्पड) 1/1 वि -चिकना (हो) व 3/1 अक =होता है (भल्ल) 6/2 वि =भलो के अव्यय =भी (पास) व 3/2 अक = नष्ट हो जाते हैं (गुण) 1/2 अव्यय =जहाँ अव्यय =साथ (सग) 1/1 =सगति (खल) 3/2 =दुष्टो के (वडसागर) 1/1 =अग्नि (लोह) 6/1 =लोहे के साथ 81 भल्लाण वि णासति गुरण हिं =गुण सह सगु खलेहि वइसागर लोहह कमी-कमी तृतीया के स्थान पर पष्ठी का प्रयोग पाया जाता है (हे प्रा व्या 3-134)। अपभ्रण मापा का अध्ययन, पृष्ठ, 151 । 68 ] [ पाहुडदोहा चयनिका
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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