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________________ दिवहडइ पुणु दुक्खह परिवाडि हियडा (दुइ) 2/2 वि (दिवह+अड) 7/1 'अड' स्वा =दिन तक अव्यय -फिर (दुक्ख) 6/2 -दुखो को (परिवाडि) 1/1 =परम्परा (हिय+अड) 8/1'अड'स्वा. हे हृदय (अम्ह) 1/1 स (तुम्ह) 2/1 स -तुझको (सिक्ख+अव) व प्रे 1/1 सक =सिखाता हूँ (चित्त) 2/1 -चित्त (कर) विधि 2/1 सक लगा (काड) 7/1 -मार्ग पर पड़ सिखवमि चित्त करिज्जहि वाडि 59 जेहा पाणह अपडा तेहा पुत्तिए काउ -जैसे -प्राणियो के लिए -झोपड़ा -वैसे ही -अरे काय -वहां तित्यु अव्यय (पारस) 4/2 (झुपडा) 1/1 अव्यय अव्यय (का )1/1 अव्यय अव्यय (रिणवस) व 3/1 अक (पणि वइ) 1/1 (त) 7/1 स (कर) विधि 2/1 सक (जोइय) 8/1 'य' स्वार्थिक (भा ) 2/1 णिवसइ पारिवह तहि करि रहता है =प्राणपति -वहाँ ही लगा हे योगी जोइय भाउ 1 कमी-कमी सप्तमी के स्थान पर द्वितीया का प्रयोग पाया जाता है (हे. प्रा व्या 3-137) । 2 ममय-बोधक शब्दो मे सप्तमी होती है । 56 ] । पाहुडदोहा चयनिका
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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