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________________ जाम अव्यय अव्यय अव्यय (अविचल) 21 वि (बोहि) 2/1 (लह) व 2/1 सक -जब तक =नहीं =पादपूरक -दृढ -आध्यात्मिक ज्ञान -प्राप्त करता है अविचल बोहि लहेहि तेरण 46 उप्पज्जइ (उप्पज्जइ) व कर्म 3/1 सक अनि उत्पन्न किया जाता है जेण (ज) 3/1 स =जिसके द्वारा विबोहु (विबोह) 1/1 -प्रात्मबोध अव्यय नहीं अव्यय -पादपूरक बहिरण्णउ (बहिरण्म ) 1/1 वि बाहरी जानकार (त) 3/1 सवि -उससे पाणेरण (गाण) 3/1 =ज्ञान से तइलोयपायडेण [(तइलोय)-(पायड) 3/1 वि] =तीन लोक को भी प्रकाशित करनेवाले अव्यय किन्तु (असुन्दर) 1/I वि -घटिया जत्थ अव्यय -वहाँ (जहाँ) परिणामो (परिणाम) 1/1 -परिणाम असुन्दरो 47. वक्खाण्डा करतु (वक्खाण+अड)2/1 'अड' स्वा =व्याख्यान (कर→करत) वकृ 1/1 =देते हुए (बुह) 1/1 वि -ज्ञानी ने (अप्प) 7/1 -प्रात्मा मे अव्यय नहीं (दिण्ण) भूक 1/1 अनि =दिया अप्पि दिण्णु l यहाँ सकर्मक क्रिया से बना हुआ भूतकालिक कृदन्त (दिण्ण) कर्तृवाच्य मे प्रयुक्त हुआ है जो विचारणीय है । पाहुडदोहा चयनिका ] [ 49
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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