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________________ 14 要 णिग्गुण गुणसारा काएरण जा विढप्पs सा किरिया कि ग कायव्वा श्रप्पा ਸਤ रिगच्च जइ ता पर किज्जइ काइ वढ तणु उप्पर प्रणुराउ 15. जसु मरिण गाण प विप्फुरs ( गग्गुण) 3 / 1 वि = गुणरहित [(गुण) - (सार→मारा) 1 / 1 वि] = गुणो ( की प्राप्ति) के लिए श्रेष्ठ शरीर से - जो = उदय होती है। == वह पाहुडदोहा, चयनिका ] (काम) 3/1 (जा) 1 / 1 मवि (विढप्प) व 3 / 1 अक (ता) 1 / 1 मवि (faftur) 1/1 अव्यय अव्यय ( काव्a) विधि 1 / 1 अनि = यदि केवलरणारणसहाउ[[(केवलरणारण) - (सहा) 1/1 ] वि] - केवलज्ञान स्वभाववाली अव्यय =तो ( पर) 6 / 1 वि =भिन्न ( किज्जइ) व कर्म 3 / 1 सक अनि को जाती है ॥ श्रव्यय =क्यो = हे मूर्ख (अप्प ) 1/1 (वुज्झ वुज्झि ) भूकृ 1 / 1 ( रिणच्च) 1/1 वि अव्यय (वढ) 8/1 (तणु) 6/1 अव्यय ( श्रणुरा ) 1 / 1 = क्रिया (ज) 6/1 स ( मरण) 7/1 (सारण) 1/1 अव्यय (विप्फुर) व 3 / 1 अक == क्यो = नहीं = की जानी चाहिए == श्रात्मा ==समझी गई = नित्य शरीर के ==ऊपर = श्रासक्ति - जिसके - हृदय मे =ज्ञान = नहीं = फूटता है [ 33
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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