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________________ 46. उप्पज्जइ जेण विवोहु ण वि बहिरण्णउ तेण णाणेण । तइलोयपायडेण वि असुदरो जत्थ परिणामो ॥ 47 वक्खाण्डा करंतु बुहु अप्पि ण दिण्णु णु चित्तु । करहिं जि रहिउ पयालु जिम पर सगहिउ बहुत्तु ॥ 48. पंडियपडिय पंडिया कणु छंडिवि तुस कंडिया । अत्थे गंथे तुट्ठो सि परमत्थु ण जाणहि मूढो सि ।। सयलु वि को वि तडप्फडइ सिद्धत्तणहु तरणेण । सिद्धत्तणु परि पावियइ चित्तहं रिणम्मलएण ॥ 50 अरि मरणकरह म रइ करहि इंदियविसयसुहेण । सुक्खु पिरंतर जेहिं रग वि मुच्चहि ते वि खरणेण ॥ 51. तूसि म रुसि म कोहु करि कोहे णासइ धम्मु । धम्मि पछि परयगइ अह गउ माणुसजम्मु ॥ 52 हत्थ अठ्ठ देवली वालहं रणा हि पवेस । सतु रिणरंजणु तर्हि वसइ रिणम्मलु होइ गवेस ॥ 53 अप्पापरह रण मेलयउ मणु मोडिवि सहस ति । सो वढ जोइय कि करद जासु रण एही सत्ति ॥ { पाहुडदोहा चयनिका
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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