SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1. गुरु दिरणयरु गुरु हिमकरणु गुरु दीवउ गुरु देउ । अप्पापरहं परंपरहं जो दरिसावइ भेउ ॥ 2. अप्पायत्तउ जं जि सुहु तेण जि करि सतोसु । परसुहु वढ चिततहं हियइ रण फिट्टइ सोसु ॥ 3. प्राभुजंता विसयसुह जे रण वि हियइ धरंति । ते सासयसुहु लहु लहहि निणवर एम भरगति ॥ 4. रण वि भुजंता विसय सुह हियडइ भाउ घरति । सालिसित्थु जिम वप्पुडउ गर गरयहं रिगवडंति ।। 5. आयई अडवड वडवडइ पर रंजिज्जइ लोउ । मरणसुद्धई पिच्चलठियइं पाविज्जइ परलोउ ।। 6 घंघई पडियउ सयलु जगु कम्मई करइ अयाणु । मोक्खहं कारण एक्कु खणु रा विचितइ अप्पाणु ॥ 21 [ पाहुडदोहा चयनिका
SR No.010431
Book TitlePahuda Doha Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1991
Total Pages105
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy