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________________ १० । [ नेमिनाथमहाकाव्य मार्मिकता के कारण कीतिराज का यह वर्णन सस्कृत-साहित्य के उत्तम प्रभात वर्णनो से होड कर मकता है । नायक को देखने को उत्सुक पौर युवतियो की माकुलता तथा तज्जन्य चेष्टाओ का वर्णन करना सस्कृत-महाकाव्यो की एक अन्य बहुप्रचलित रूढि है, जिसका प्रयोग नेमिनाथमहाकाव्य मे भी हुआ है। बौद्ध कवि अश्वघोष से आरम्भ होकर कालिदास, माघ, श्रीहर्प आदि से होती हुई यह रूढि कतिपय जैन महाकाव्यो का अनिवार्य-सा अङ्ग बन गया है। अश्वघोप और कालिदाम का यह वर्णन अपने महज लावण्य से चमत्कृत है। माघ के वर्णन मे, उनके अन्य अधिकाश वर्णनो के समान, विलासिता की प्रधानता है । कीतिराज का सम्भ्रमचित्रण यथार्थता से ओत-प्रोत है, जिससे पाठक के हृदय मे पुरसुन्दरियो की त्वरा सहसा प्रतिविम्बित हो जाती है। नारी के नीवीस्खलन अथवा अघोवस्त्र के गिरने का वर्णन, इस सन्दर्भ मे, प्राय सभी कवियो ने किया है। कालिदास ने अचीरता को नीवीस्खलन का कारण बता कर मर्यादा की रक्षा की है।५ माघ ने इसका कोई कारण नही दिया जिससे उसका विलासी रूप अधिक मुखर हो गया है। नग्न नारी को जनसमूह में प्रदर्शित करना जैन यति की पवित्रतावादी दृत्ति के प्रतिकूल था। अत उसने इस रूढि को काव्य मे स्थान नहीं दिया। इसके विपरीत काव्य मे उत्तरीय के गिरने का वर्णन किया गया है । शुद्ध नैतिकतावादी दृष्टि से तो शायद यह भी औचित्यपूर्ण नही किन्तु नीवीस्खलन की तुलना में यह अवश्य क्षम्य है, और कवि ने इसका जो कारण दिया है उसमे तो पुरसुन्दरी पर कामुकता का दोप आरोपित ही नही किया जा सकता। कीतिराज की नायिका हाथ ५ जालातरप्रेषित्तदृष्टिरन्या प्रस्थानभिन्ना न बबन्ध नीवीम् । रघुवरा, ७६ , ६ अभिवीय सामिकृतमण्डनं यती फररुद्धनीवीगलदेशुका स्त्रिय. । शिशुपालवध, १३६३१
SR No.010429
Book TitleNeminath Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiratnasuri, Satyavrat
PublisherAgarchand Nahta
Publication Year1975
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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