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________________ - - नेमिनाथ चरित्र रानीने एक पुत्रको जन्म दिया। उसका नाम अंगारक रक्खा गया। मैं अशनिवेगकी पुत्री हूँ। मेरी माताका नाम सुप्रभा था। कुछ दिनोंके वाद ज्वलनवेग अपने भाई अशनिवेगको अपना राज्य देकर स्वर्ग चले गये। अंगारकको यह अच्छा न लगा और उसने अपनी विद्याके वलसे अशनिवेगको बाहर निकाल कर राज्यपर अधिकार जमा लिया। ___इस घटनासे खिन्न हो मेरे पिता अष्टापद पर्वत पर चले गये। वहॉपर अंगिरस नामक एक चारण मुनिसे उनकी भेट हो गयी। उन्होंने उससे पूछा:"हे मुनिराज! मेरा राज्य मुझे कभी वापस मिलेगा या नहीं?" मुनिराजने कहा :-"तुम्हारा राज्य तुम्हें अवश्य वापस मिलेगा, किन्तु वह तुम्हारे दामाद की सहायतासे मिलेगा।" इसपर मेरे पिताने पुनः पूछा :-'हे मुनिराज ! क्या आप दया कर यह भी बतला सकते हैं कि मेरा दामाद कौन होगा"
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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