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________________ 1३३ नेमिनाथ-चरित्र देवने कलाकौशलमें उन्हें पराजित कर उनसे विवाह कर लिया। विवाहके बाद वे बहुत दिन तक ससुरालमें मौज करते रहे। इसी समय विजयसेनाके उदरसे उन्हें अक्र र नामक एक पुत्र भी हुआ। वह बहुत ही रूपवान् बालक था। कुछदिन उसकी भी बालक्रीड़ा देखनेके बाद वसुदेवने वहाँसे दूसरे नगरके लिये. प्रस्थान किया। ___ मार्गमें वसुदेवको एक बड़ा भारी जंगल मिला ।' वहाँ उन्हें प्यास लगी। इसलिये वे जलकी तलाश करते हुए जलावत नामक एक सोख के तटपर जा पहुंचे । उस. समय एक जंगली हाथीने उनपर आक्रमण कर दिया, किन्तु वसुदेवने विचलित न होकर मृगेन्द्रकी भॉति उससे युद्ध कर उसपर विजय प्राप्त की। इसके बाद मौका मिलते ही वे उसपर सवार हो गये। इसी समय कहींसे अर्चिमालि और पवनजय नामक विद्याधर उधर आ निकले। वे वसुदेवको हाथी पर बैठे देखकर उन्हें कुञ्जरावर्त उद्यानमें उठा ले गये। वहाँ विद्याधरोंके राजा अवनिवेगने अपनी श्यामा नामक कन्यासे उनका विवाह
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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