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________________ जीयागंज (मुर्शिदाबाद ) निवासी स्वर्गीय राय बहादूर लछमीपत सिंहजी के वंशज श्रीयुक्त वाबू श्रीपत सिंहजी दूगड़ का 'संक्षिप्त जीवन परिचय शास्त्रकारोंने ठीक ही कहा है कि : परिवर्तिनि संसारे, मृत: को वा न जायते । स जातो येन जातेन, याति वंशः समुन्नतिम् ।। इस संसार-सागरमें जिसके रंग निरन्तर पलटते रहते हैं । जिसमें मनुष्यका जीवन पानीके बुलबुलके समान है। पैदा होना और मर जाना नित्यका खेल-सा है। उसमें उसीका जन्म ग्रहण करना ठीक है जिसके द्वारा अपनी जाति की कुछ भलाई हो, अपने वंशका गौरव हो, अपने कुजका नाम ऊँचा हो, नहीं तो इस संसार में निरन्तर हजारों लाखों पैदा होते और मरते रहते हैं। उनकी और कौन लक्ष देता है और इस जातिके उपकार करनेवालोंका नाम मर जानेपर भी इस संसारके चित्र-पटपर विराजमान रहता है। उनके यशरूपी शरीरको न तो बुढ़ापा आता है और न मृत्यु प्रास करती है। वे अपनी कोर्तिके द्वारा अमर हो जाते हैं। ऐसे अमर कीर्ति सत्पुरुषोंका नाम सभी लोग बड़ी श्रद्धाके साथ लिया करते हैं। ऐसे ही विरले सजनोंमें बालुचर जीयागंज (मुर्शिदाबाद ) निवासी सुप्रसिद्ध रईस-जमिदार वायू प्रापत सिंहजी हैं। आपका जन्म सं० १९३८ में जीयागंज में हुआ था। आपके पिताजीका नाम
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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