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________________ ग्रन्थको १६६८ में लिखा है। इसकी मूल भाषा गद्य संस्कृत है, और इसीके आधार पर हमने इस ग्रन्थको लिखा है। आशा है, हमारे प्रेमि पाठकोंको हमारा यह उद्योग प्रिय प्रतीत होगा। यदि हमारे पाठक- इसे पसंद कर हमें उत्साहित करेंगे तो भविष्यमें अन्यान्य, तीर्थकरोंके चरित्र भी लिखकर हम पाठकोंके समक्षः रखनेका प्रयत्न करेंगे। . . . . . . ___ यहाँ पर मैं बीकानेर-निवासी रावतमलजी मैदानजी सुराणां की फर्मके मालिक माननीय बाबू मैदानजी सुराणा को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने हमारी आदिनाथ हिन्दी-जैन-साहित्यमालाको २०१) रुपये प्रदान कर आजीवन सदस्य बनने की कृपा की है। आशा है, हमारे । अन्यान्य जैन 'बन्धु भी आपकी उदार मावनाका अनुसरण कर "माला" के सदस्य बनने की कृपा करेंगे। __ मैं उन सज्जनोंका पूर्ण आभारी हूँ। जिन्होंने इस प्रन्थके अग्रिम आहक बनकर मुझे उत्साहित किया है। अस्तु! · ता० १५-७-१९५६ ]. आपका। ७, खेलात घोष लेन, । काशीनाथ जैन कलकत्ता-६
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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