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________________ सोलहवा परिच्छेद पारच्छद ६६९ अभिचन्द्रले उत्कट शतधन्वाको, पूरणने द्रुपदको, सुलेमिने कुन्ति भोजको, सत्यनेमिने महापनको और दृढ़नेमिने श्रीदेवको मार डाला । तदनन्तर इन सबोंकी सेना अपने सेनापति राजा हिरण्यनामकी शरणमें जाकर रहने लगी। ___इसी तरह दूसरी ओर भीम, अर्जुन तथा वलरामके. वीर पुत्रोंने कौरवोंको परेशान कर डाला। अर्जुनने उन पर इतनी बाण सृष्टि की, कि चारों ओर अन्धकार छा गया। गाण्डीव धनुएके निर्घोषने सबको बधिर सा वना दिया। उस समय अर्जुनकी चपलता और स्फूर्ति भी देखने योग्य हो रही थी। वे वाणको कव हाथमें लेते थे, कव धनुष पर चढ़ाते थे और कब उसे छोड़ते थेवह आकाशके निसेप-रहित देवताओंको भी ज्ञात न हो सकता था। उनकी स्फूर्तिके कारण सवको ऐत्ता मालूम होता था, मानो यह सब काम वे एक साथ ही कर डालते हैं। ___ अर्जुनकी इस वाणवासे व्याकुल हो, दुर्योधन, कासि, त्रिगत, सबल, कपोत, रोमराज, चित्रसेन, जयद्रय, सौवीर, जयसेन, शूरसेन और सोमक-यह सभी
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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