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________________ तेरहवाँ परिच्छेद यदि तुम्हें विश्वास न हो तो उसे बुलाकर पूछ लो, वह स्वयं तुम्हें सब हाल कह सुनायेगा।" ___ सत्यमुनिकी यह बातें सुनकर कुछ लोग तुरन्त उस किसानके यहाँ दौड़ गये और उसके मूक बालकको सत्यमुनिके पास ले आये। तदनन्तर मुनिराजने उससे कहा :-हे वत्स ! तुम अपने पूर्वजन्मका सारा वृत्तान्त इन लोगोंको कह सुनाओ! इस संसारमें न जाने कितनी बार पुत्र पिता और पिता पुत्र होता है। इसलिये ज्ञानी लोग इसे विचित्र कहते हैं। इसमें कोई लज्जा या संकोच करनेकी जरूरत नहीं है। तुम अपना मौन भंगकर सब लोगोंको अपना । पूरा वृत्तान्त कह सुनाओ! इससे तुम्हारा कल्याण ही होगा।" __ सत्यमुनिके मुखसे अपना यह हाल सुनकर उस बालकको बड़ाही आनन्द हुआ और उसने प्रसन्नतापूर्वक अपने पूर्वजन्मका वृत्तान्त सब, लोगोंको कह सुनाया। उसका जन्मवृत्तान्त और संसारकी विचित्रता देखकर अनेक श्रोताओंको वैराग्य आ गया, फलतः उन्होंने भी
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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