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________________ MM नेमिनाव-चरित्र ही क्यों न लुढ़के जा रहे हों, परन्तु कृष्णको अकेला छोड़कर तुम्हें कहीं न जाना चाहिये।" यशोदा भी उस गाड़ी और विद्याधरियोंको देखकर सहम गयीं। उन्होंने बड़े प्रेमसे कृष्णको अपनी गोदमें उठाकर उनके शरीर की जांच की। जब उन्हें विश्वास हो गया, कि कृष्णको कहीं चोट नहीं आयी, तब उनका हृदय शान्त हुआ। उन्होंने वारंवार कृष्णके कपोल पर चुम्बन कर उन्हें गलेसे लगा लिया। इस दिनसे वे कृष्णको बड़े यनसे रखने लगीं। अपनी समझमें वे उन्हें कभी अकेला न छोड़ती थीं, परन्तु कृष्ण बहुत ही उत्साही और चञ्चल प्रकृतिके बालक थे, इसलिये वे मौका मिलते ही यशोदाकी नजर बचाकर इधर उधर निकल जाया करते थे। ___ कृष्णकी इस आदतसे यशोदा बहुत आजिज आ गयौं। एकदिन उन्हें कार्यवश अपनी पड़ोसिनके यहाँ जाना था। वे जानती थीं, कि कृष्ण घरमें बैठनेवाले जीव नहीं हैं, इसलिये उन्होंने उनकी कमरमें एक रस्सी बाँधकर, उस रस्सीका दूसरा छोर एक बहुत बड़े
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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