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________________ पाठवाँ परिच्छेद यह स्वम देखते ही दमयन्तीकी आँखें खुल गयीं। उसने अपने पितासे इसका हाल कहा। वे इससे बहुतही प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा :-"वेटी! यह स्वप्न बहुत ही अच्छा मालूम होता है। तुमने जो निवृत्ति देवी देखी है, वह तुम्हारी पुण्यराशि है। कोशलाका उद्यान तुम्हें ऐश्वर्य दिलानेवाला है। आम्रवृक्ष पर चढ़ना पति समागम सूचित करता है। खिला हुआ कमल तुम्हारा सतीत्व है जो नलके मिलनसे शीघ्र ही विकसित होने-- वाला है। वृक्षसे पक्षीका गिरना कुबेरका पतन सूचित करता है। उसके राज्यभ्रष्ट होनेमें अब अधिक देर न समझनी चाहिये । “यह स्वम तुमने प्रभात कालमें देखा है, इसलिये इसका फल तुम्हें अति शीघ्र और संभवतः आज ही मिलेगा। स्वमशास्त्रके अनुसार तुम्हारे स्वमका फल यही मालूम होता है।" थोड़ी ही देरमें मंगल नामक एक अनुचरने राजा भीमरथको दधिपर्णके आगमनका समाचार कह सुनाया। राजा भीमरथ यह सुनकर नगरके बाहर गये और बड़े सम्मानके साथ दधिपर्णको नगरमें लिवा लाये। इसके
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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