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________________ नेमिनाथ- चरित्र रानी चन्द्रयशा जब-जब इस गुप्तवेशवाली दमयन्ती को देखती, तत्र तब उसे । प्रकृंत दमयन्तीकी याद आ नाती थी । वह दमयन्तीके रूपसे उसके रूपकी तुलना करती, तो उसे उन दोनोंमें बड़ी समानता दिखायी -देती । एकदिन उसने अपनी पुत्री चन्द्रवतीसे कहा : " तुम्हारी यह बहिन ठीक मेरी बहिनकी पुत्री दमयन्ती के -समान है। इसे देखकर मुझे सन्देह हो जाता है कि यह वही तो नहीं है ! परन्तु यह केवल सन्देहं ही है । उसकी न तो ऐसी अवस्था हो ही सकती है, न वह यहाँ -आ ही सकती है । वह तो हमारे स्वामी राजा नलकी पटरानी है और यहाँ से एकसौ चौवालिस योजनकी दूरी " पर कोशला नगरीमें रहती है !" खैर, रानीने इसे असम्भव मानकर दमयन्तीके निकट कभी इसकी चर्चा न की । फलतः उन दोनोंका यह सम्बन्ध प्रकट न हो सका और दमयन्ती उसी तरह अपने दिन बिताती रही । ૨૪૮ f रानी चन्द्रयशाने नगरके बाहर एक दानशाला नवा रक्खी थी । वहाँपर वह रोज सुबह कुछ देर बैठ
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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