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________________ श्लोक १ ४ विषय-सूची विषय अधिकारीका उपपादन आत्माका अज्ञान ही सब अनर्थों का मुख्य कारण है, यह कथनं प्रस्तुत प्रकरणका विषयोपन्यास ... ... प्रकरणसे प्रतिपाद्य चार विषयों का (अनर्थ, अनर्थहेतु, पुरुषार्थ और पुरुषार्थहेतुका ) प्रतिपादन ... ... ज्ञान ही मोक्षका साधन है, कर्म नहीं, यह प्रतिपादन ... प्रतिज्ञात विषयकी पुष्टि के लिए पूर्वपक्ष-(ज्ञानको स्वीकार करते हुए ) कर्म ही मोक्षका साधन है, यह कथन ... ... केवल ज्ञान विधिप्राप्त नहीं, यह प्रतिपादन ... ... (ज्ञानको मुक्तिका साधन माननेपर भी) केवल ज्ञान मुक्तिका साधन नहीं, कर्मसमुच्चित ज्ञान ही मुक्तिका साधन है, यह कथन पूर्वपक्षका खण्डन- ... ... ... चारों प्रकारके कर्मफलसे मुक्ति नहीं ( मुक्ति चारों प्रकारके कर्मका फल नहीं है ) यह कथन केवल आत्म-ज्ञानसे ही मुक्ति होती है, यह निरूपण ... ज्ञान (कर्मके समान अविद्याजन्य होनेपर भी) अज्ञानका निवर्तक कैसे हो सकता है, इस शङ्काका निराकरण- ... ... कर्म मुक्तिमें किस प्रकार उपयोगी है, यह प्रतिपादन . ... कर्मानुष्ठानसे चित्तशुद्धि द्वारा वैराग्य ... बैराग्योत्तर सर्वकर्मसंन्यासका अधिकार ... इस तरह कर्म मुक्तिमें उपयोगी है यो उपसंहार मुक्ति कर्मसे साध्य नहीं है, यह कथन कम और ज्ञानके समसमुच्चयका खण्डन ...
SR No.010427
Book TitleNaishkarmya Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrevallabh Tripathi, Krushnapant Shastri
PublisherAchyut Granthmala Karyalaya
Publication Year1951
Total Pages205
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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