SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क ( ३० ) २६ ( चाल क़वाली ) - सर रखदिया हमने दरे जानान समझ कर ॥ अब लेलिया शर्ण तेरा हितकारी समझकर - दुखहारी समझकर ।। हितकारी समझकर तुझे अविकारी समझकर सुखकारीसमझकर १ अबतक तो कषायों में है दिल अपना लगाया-विषयों में फंसाया || अबतज दिये सारे महा दुखकारी समझकर - अधकारी समझकर २विषियोंका भोग करते तो उम्रे गुज़र गई- सदियें गुज़र गई ॥ अबतजदिये मैंने सभी जल खारी समझकर बीमारी समझकर३ नादानी से हिंसा को कभी पाप न समझा-संताप न समझा ॥ न्यामत इसे अब छोड़दे दुखकारी समझकर भयकारीसमझकर ४ ५७ ( चाल वहरेतवील ) - कोई चातुर ऐसी सखी ना मिलो ॥ (बृद्ध बिवाह निषेध ) J अरे बूढ़े कहाँ तेरी अक्ल गईअबतो शादीकी तेरी उमरही नहीं ॥ काहे छोटीसी अबलाको बिधवा करे Gogg तेरे दिलमें दयाका असरही नहीं ॥ १ ॥ तेरी गरदन हिले मुख राल चले
SR No.010425
Book TitleMurti Mandan Prakash
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy