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________________ - - - - - - - (२५) लाला बिहारीलाल का परिचय जिनकी मारफत पन आया था । - manAma (दोहा) | मित्र विहारीलालका अव कुछ वर्ण हाल । पत्र जिन्होंकी मारफत भेजा पन्नालाल ॥ १ ॥ गुना सहोरा जानियो उनका शुभ अस्थान ॥ राज ग्वालियरका जहां देश सुराजिस्थान ।। २ ।। कुंजलालके जानियो चार पुत्र सुखकार ।। सदा लीन जिनधर्म में और जात परवार॥ ३॥ लखमीचन्द अरु हुकमचन्द अरु तीजा शिवलाल ॥ सबसे छोटा जानियो चतुर बिहारीलाल ॥ ४॥ - २१ भी सम्मेद शिखर जी पर लाला बिहारीलाल से मिलनेका कारण और उनको हिसार में हैराने का कारगा । नोट-सम्बत् १६७४ विकरम माघ के महीने में हमने सम के साथ श्री सम्मेदाचल परवत की यात्रा करी छोर वहां पर लाला बिहारीलाल हुकमचन्द व लखमीचन्द तीनों भाइयो से हमारा मिलना हुवा और उनकी इच्छानुसार उनके कारोबार का इन्तजाम हिसार में किया गया सो वह हिसार में माकर कारोबार करने लगे। घाल-गुल मन काटे अरे वागगं गुलसे गुलको हसने है ।। पुन्य उदयसे श्री सम्मेदाचाल बन्दन हम किया विचार॥ । - - 41
SR No.010425
Book TitleMurti Mandan Prakash
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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