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________________ भगवान पार्श्वनाथ की ही एक धातु की प्रतिमा 5वी शताब्दी के भी पहले की प्रतीत होती है । प्रतिमा की ध्यान मुद्रा अत्यधिक आकर्षक है । सवत् 1718 मे प्रतिष्ठित भगवान पार्श्वनाथ की धातु (पीतल) की प्रतिमा भी मनोज्ञ प्रतिमा है । जयपुर मे सवत् 1861 मे विशाल प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था जिसमे समस्त देश के श्रावक यहा एकत्रित हुए थे तथा हजारो की सख्या मे जिन बिम्बो की प्रतिष्ठा हुई थी । उस समय मुलतान से भी कितने ही श्रावक जयपुर प्रतिष्ठा मे आये थे और चन्द्रप्रभ स्वामी एव अन्य प्रतिमाओ की प्रतिष्ठा करवायी थी । इसी तरह जब 1883 मे देहली मे प्रतिष्ठा हुई तो वहा भी चन्द्रप्रभु स्वामी की ही मूर्ति प्रतिष्ठापित कराकर मुलतान मन्दिर मे विराजमान की गई । उक्त प्रतिमाओ के अतिरिक्त सवत् 1950, 1955, 1960, 1963 आदि सवतो प्रतिष्ठापित प्रतिमाएँ भी मन्दिर मे विराजमान है । सवत् 1955 मे प्रतिष्ठित मूर्तियो मे मुलतान का नाम अकित है । मन्दिर मे फिरोजपुर, सोनीपत, रेवासा, सम्मेदशिखर आदि स्थानो मे प्रतिष्ठित मूर्तिया विराजमान हैं। सभी मूर्तियाँ भव्य एव आकर्षक है । ये सभी भव्य, मनोज्ञ एव अतिशययुक्त प्रतिमाएँ दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्शनगर जयपुर मे विराजमान है । शास्त्र भण्डार दिगम्बर जैन मन्दिरो मे शास्त्र भण्डार अथवा सरस्वती भवन का होना मन्दिर का आवश्यक अंग माना जाता है | श्रावक के छह आवश्यक कार्यो मे भी स्वाध्याय को अत्यन्त महत्व दिया गया है इसलिये शास्त्र भण्डारो की स्थापना मे वृद्धि होती रही है । मध्यकाल मे जब भट्टारको का उदय हुआ तो उन्होने अपने-अपने केन्द्र स्थानो पर शास्त्रो का अच्छा संग्रह किया । राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, एव देहली मे जहा पहिले इन भट्टारको की गा दिया थी आज भी हजारो की सख्या मे हस्तलिखित ग्रन्थो का सग्रह मिलता है । मुलतान समाज प्रारम्भ से ही स्वाध्याय प्रेमी रहा है । इसलिये श्रावको के उत्साह एव रचि के कारण मन्दिर एवं शास्त्र भण्डार दोनो मे ही वृद्धि होती रही । मुलतान क दिगम्बर जैन मन्दिर में भी शास्त्र भण्डार था जिसमें बहुत से हस्तलिखित ग्रन्थो का संग्रह था । इन ग्रन्थो मे अधिकाण ग्रन्थ हिन्दी मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक मे [55
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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