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________________ जयपुर के प० जयचन्द जी छाबडा भी मुलतान में काफी लोकप्रिय थे। उनकी कृतियो के स्वाध्याय का भी वहा अच्छा प्रचार था। इसलिए सवत 19051 मे और फिर संवत 1962 में अष्टपाहुड भाषा की मुलतान समाज के लिए जयपुर में प्रतिलिपि कगयी गयी । इसी तरह संवत 1916 मे देवागम स्तोश्र भाषा की प्रतिलिपि प्राप्त की गयी। यह था जयपुर और मुलतान का सम्बन्ध । वास्तव मे मुलतान वासियों के लिए तो जयपुर सदैव घर जैसा रहा है और उनका यहा वराबर आवागमन भी होता रहा ।। देहली मे भी मुलतानी बन्धु व्यापार कार्य से आते जाते रहते थे । उन्ही में से एक थे हीरालाल ओसवाल । संवत 1907 मे इन्ही हीराला , ने वख्तावर सिंह से जिनदत चरित्र लिखवाकर मुलतान को भिजवाया था।' इसी समय वहाँ घनश्यामदास नामक श्रावक थे। वे भी शास्त्रो के लिखवाने एव उन्हे विद्वानों को भेट करने में रुचि लेते थे। मुलतान में उस समय प० हमीरमल थे जो स्वाध्यायी एव तत्व चर्चा में रुचि रखने वाले थे । इसलिए श्रावक घनश्यामदास ने उनको विभिन्न पाठो के सग्रह वाला गुटका भेट स्वरूप दिया जिसमे “सम्यकत्व कौमुदी" आदि बहुत से पाठ है । साहित्यिक दष्टि से सम्वत 1909 मुलतान समाज के इतिहास मे विशेप उल्लेखनीय है । इस वर्ष जिन श्रावको ने साहित्यिक कार्यों में विशेष योगदान दिया उनके नाम है धर्म पत्नी सां० होवणमल पारख, खुशीराम सिंघवी, सा० मोहनमल सिंघवी एवं सा० बेगवाणो । ये सभी श्रावक मुलतान समाज के 1. अष्टपाहुड भाषा-पं० जयचन्द छावड़ा, पत्र सं० 199, रचनाकालः 1867 भादवा सुदी 13 । लिपि स्थान जयपुर तेरहपंथ मन्दिर । लिपिकाल 1905 पोष सुदी सप्तमी। अष्टपाड भाषा-पं० जयचंद छावडा। पत्र संख्या 132, रचनाकाल 1867 भादवा सुदी 13 लिपि । स्थान-जयपुर तेरहपंथ मदिर । लिपिकाल संवत 1962 पोष सुदी पचमी। जिनदत्त चरित्र-बख्तावरलाल-लिखितं दीली मध्ये बखतावरसिंह जैनी अग्रवाल ने मुलतान वाले हीरालाल ओसवाल रहने वाले हाल देहरे मे तिनके माथे दीणी स बखतावरसिंह ने लिखकर है सवत 1907 मागशीर्ष शुक्ल पक्षे 9 बुधवासरे। 4. गुटका सम्यकत्वकौमुदी कथा आदि-संवत 1908 मिती कातिक बुदी 12 भोमवासरे तथ जिनधर्मामृतपोषक शास्त्र घनश्याम जी इदं पुस्तक ५० हमीरमल दत्त । ___40 ] • मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक में,
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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