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________________ वगवाणी परिवार मुलतान मे वगवाणी परिवार मुख्यतया श्री भोलाराम सुपुत्र श्री थारयामलजी, श्री राजारामजी, एव नेभराज के थे जिनके पूर्वजो एव उनके आपसी सम्बन्ध का पता नहीं चल सका । जिनके परिवारो वा अलग-अलग परिचय दिया गया है। __ श्री भोलारामजी का परिवार । भोलारामजी का परिचय पूर्व विशिष्ट व्यक्ति परिचय मे दिया जा चुका है। आपके तीन पुत्र थे, श्री रिषभदास, आशानन्द एव रगूलाल । (1) रिषभदास का 33 वर्ष की युवावस्था में ही स्वर्गवास हो गया । उनके श्री मनोहरलाल, प्रेमचन्द एव पवनकुमार तीन पुत्र हैं । जिनके परिवार का आगे परिचय दिया जा रहा है । (2) श्री आसानन्दजी श्री आसानन्द जी का जन्म 27 जनवरी 1898 ई० मे मुलतान मे हुआ था । आप स्कूली शिक्षा प्राप्त कर 13 वर्ष की उम्र मे ही पिता के साथ व्यवसाय मे लग गये। थोडे समय पश्चात् पिता का व्यवसाय करने का त्याग कर देने एव वडे भाई श्री रिख वदासजी के स्वर्गवास हो जाने के कारण व्यवसाय का बडा बोझ आप पर आ जाने से आपने उसे बडी कुशलता से इतना बढाया कि पजाव मे आपकी फर्म का नाम गिना जाने लगा। जहा आप व्यापार मे कुशल थे। वहा धार्मिक कार्यो मे भी रुचि आपकी कम न थी। 1930 मे मुलतान मन्दिर के जीर्णोद्धार मे आपका बहुत वडा योगदान रहा है। 1937 मे मुलतान दि. जैन समाज के अध्यक्ष मनोनीत हुए जो आजन्म रहे । आपकी तीर्थ यात्राओ मे भी अच्छी रुचि थी। आप कई बार यात्रा करने भी गये और एक बार वहत वर्ड तीर्थ यात्रा पर जा रहे सघ के सघपति भी बने । ATA katry NAAD [ 165 मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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