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________________ श्री निहालचन्दजी के पुत्र श्री खेमचन्दजी __श्री निहालचन्दजी के प्रथम पुत्र है। डेरागाजी खान मे आज से 58 वर्ष पूर्व आपका जन्म हुआ था । स्कूली शिक्षा के बाद अपने पिता के साथ व्यवसाय मे लग गये। पाकिस्तान बनने के बाद आप सपरिवार जयपर आ गये । आप धर्मज्ञ एव शान्ति प्रिय व्यक्ति है। धार्मिक कार्यो एव सामाजिक व्यवस्था करने में आपकी काफी रुचि है । पहले आप अपने संयुक्त परिवार के साथ भोजाराम निहालचन्द जनरल मर्चेन्टस कटला पुरोहित जी मे कार्यरत थे। अब आप अपना अलग व्यवसाय करते है। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती पदमा देवी हैं । आप के हसकूमार, कैलाशकुमार दो पत्र एव एक पुत्री है। घी वालो का रास्ता जौहरी बाजार जयपुर मे आप रहते है। श्री खेमचन्दजी के पुत्र श्री हंसकुमार श्री हस कुमार जी उच्च शिक्षा प्राप्त कर इलाहाबाद बैक मे कार्यरत है। आप सरल स्वभावा एव धर्मज्ञ तथाउत्साही व्यक्ति है। आदर्श जैन मिशन के आप कोषाध्यक्ष है। आपकी पत्ता श्रीमती निर्मला जैन है, आपके अनुज एक पुत्र एव एक पुत्री है। आप राजा पाके गली न. 6 मे रहते है। श्री कैलाश कुमार . आप श्री खेमचन्दजी के द्वितीय पत्र है। आपके अर्पण, दर्पण दो पुत्र है। देवनगर दिल्ली मे रहते है। आपकी धर्मपत्नी कमला जैन है। श्री शान्तिलालजी आपका जन्म डेरागाजीखान मे हआ था। स्कूली शिक्षा के बाद व्यवसाय करने जयपुर आ जाने के पश्चात् पहले आप अपने भाइयो के साथ भोजाराम निहालचन्द कटला "पा में कार्य करते थे। अब आप अपना निजी व्यवसाय करते हैं। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती विमला देवी है। आपके राजू मात्र एक पुत्र एव 3 पुत्रिया ह। निवास-हल्दियो का रास्ता, जब मनीषकुमारजी व्यवसा arte श्रा निहाल चन्दजी के तीसरे पत्र है। कर्मठ कार्यकर्ता एव समाज सेवी व्यक्ति है। त्य में अपने पुरुषार्थ से बहत उन्नति की है। सामाजिक कार्यों मे आपकी अच्छी रुचि है। आपकी धर्मपत्नी का नाम-लाजकूमारी है। आपके राजकुमार एक पुत्र एवं चार पुत्रिया हैं । निवास-435 आदर्शनगर जयपुर-4 श्री भगवानदासजी श्रा निहालचन्दजी के चतुर्थ पत्र है । उत्साही कार्यकर्ता, समाजसेवी एव धार्मिक क्रिया सच रखने वाले कर्मठ व्यक्ति है। आप की धर्मपत्नी का नाम श्रीमती सुमिमा दवा है । राकेश एवं विनोद मात्र दो पुत्र है। यवसाय-विनोद जनरल स्टोर, वलियन वल्डिंग, घी वालो का रास्ता । निवास-मकान न0 638 आदर्शनगर मे रहते हैं। 'कलापो मे रुचि रखने वाल [ 149 • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक में
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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