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________________ श्री सन्तीरामजी सिंगवी CR श्री सन्तीरामजी का जन्म श्रीमान घनश्यामदासजी सिंगवी के घर पर डेरागाजीखान मे हुआ था । आप स्वभाव से ही भद्र परिणामी एवं सज्जन पुरुष थे । आप डेरागाजी खान मे व्यवसाय करते थे । आपके श्री भवरचन्द श्री बल्लभदास, श्री गणेशदाराजी, तीन पुत्र एव गणेशी वाई एक पुत्री थी | आपना मुलतान मे 75 वर्ष की आयु मे निधन हुआ । श्री भंवरचन्दजी सिंगवी स्व श्री भंवरचन्दजी का जन्म स्व. श्री सन्तीराम सिंगवी के घर पर डेरागाजीखान मे हुआ था । प्रारम्भ से ही उत्साही कार्यकर्ता एव सामाजिक प्राणी थे । आपको धर्म मे प्रति प्रगाढ श्रद्धा एवं भक्ति थी । छोटी अवस्था ही आप डेरागाजी खान से मुलतान व्यवसाय के लिये आ गये और मुलतान मे भवरचन्द ज्ञानचन्द जैन चूडी सराफ मे चूडियो का व्यवसाय करने लगे और मुलतान मे भी आप सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अग्रणी थे । पाकिस्तान बनने के समय जब सब लोग मुलतान छोड़कर भारत आ गये तब आप कुछ अन्य साधर्मी जनों के साथ वहां रह रहे थे तो एक दिन आपको पिछली रात मे स्वप्न आया कि मंदिर की वेदी मे मूलनायक श्री पार्श्वनाथ जी की एक मात्र मूर्ति विराजमान है उसे लेकर आप तुरन्त यहा से चले जाये । आप प्रात होते ही अपने साथियो को स्वप्न बताकर मन्दिर से वह मूर्ति लेकर वहाँ से आ गये । यह भंवरचन्दजी का ही पुरुषार्थ था कि महान अतिशय युक्त मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्राचीन मूर्ति आज श्री दि० जैन मंदिर आदर्शनगर मे विराजमान है । जयपुर मे भी आपने भंवरचन्द ज्ञानचन्द जैन जनरल मर्चेन्ट के नाम से कटला पुरोहितजी जयपुर मे अपना व्यवसाय किया । आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती नन्दीबाई है और ज्ञानचन्द, बोधराज, लाजपतराय और बालकिशन चार लड़के जो अपने-अपने बहुत अच्छे व्यवसायो में कार्यरत है और पुत्री सुश्री कुमारी पुष्पा जो अच्छी राजनीतिज्ञ हैं मुसतान दिगम्बर जैन समाज इतिहांस के आलोक मे [ 137
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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