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________________ ૪૬૨ मोक्षशास्त्र -उपरोक्त पैरा ४ के पैरेमें जो १० उप पैरा दिया है उस परसे यह सिद्ध होता है कि यदि जीव शरीरका कुछ कर सकता है अथवा शरीर जीवका कुछ कर सकता है ऐसी मान्यता मिथ्या है । इस विषयका सिद्धांत इस अध्यायके सूत्र ४१ की टीकामें भी दिया है। (८) उपादान-निमिच संबंधी सिद्धांत जीव, पुद्गलके अतिरिक्त दूसरे चार द्रव्योंकी सिद्धि करनेसे पहले हमें उपादान निमित्तके सिद्धांतको और उसकी सिद्धिको ससझ लेना आवश्यक है। उपादान अर्थात् वस्तुको सहज शक्ति-निजशक्ति और निमित्तका अर्थ है संयोगरूप परवस्तु । इसका दृष्टांत-एक मनुष्यका नाम देवदत्त है; इसका यह अर्थ है कि देवदत्त स्वयं स्व से स्व-रूप है किंतु वह यज्ञदत्त इत्यादि किसी दूसरे पदार्थ रूप नही है, ऐसा समझनेसे दो पदार्थ भिन्नरूपसे सिद्ध होते हैं, १-देवदत्त स्वयं २-यज्ञदत्त इत्यादि दूसरे पदार्थ । देवदत्तका अस्तित्व सिद्ध करने में दो कारण हुये:-(१) देवदत्त स्वयं ( २ ) यज्ञदत्त इत्यादि दूसरे पदार्थ जो जगत्में सद्भावरूप हैं किन्तु उनका देवदत्त, अभाव । इन दो कारणोंमें देवदत्तका स्वयंका अस्तित्व निजशक्ति होनेसे मूलकारण अर्थात् उपादानकारण है और जगत्के यज्ञदत्त इत्यादि दूसरे पदार्थोका अपने-अपने में सद्भाव और देवदत्तमें अभाव वह देवदत्तका अस्तित्व सिद्ध करनेमें निमित्त कारण है । यदि इस तरह न माना जाये और यज्ञदत्त आदि अन्य किसी भी पदार्थका देवदत्तमे सद्भाव माना जावे तो वह भी देवदत्त होजायगा। ऐसा होनेसे देवदत्तकी स्वतंत्रसत्ताही सिद्धनही होसकेगी। पुनश्च यदि यज्ञदत्त इत्यादि दूसरे पदार्थोकी सत्ता ही-सद्भाव ही न मानें तो देवदत्तका अस्तित्व भी सिद्ध नही हो सकता, क्योकि एक मनुष्य को दूसरेसे भिन्न वतानेके लिये उसे देवदत्त कहा, इसलिये देवदत्तके सत्तास्पमे देवदत्त मूल उपादानकारण और जिससे उसे पृथक् वतलाया वैसे अन्य पदार्थ सो निमित्त कारण है-इससे ऐसा नियम भी सिद्ध हुआ कि निमित्तकारण उपादानके लिये अनुक्ल होता है किंतु प्रतिकूल नहीं होता । देवदत्त के देवदत्तपने में परद्रव्य उसके अनुकूल है, क्योकि वे देवदत्तरूप नही
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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