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________________ अध्याय ३ सूत्र २९-३०-३१ टीका इन तीन क्षेत्रोंके मनुष्योंकी ऊँचाई क्रमसे एक, दो और तीन कोस की होती है। शरीरका रंग नील, शुक्ल और पीत होता है ॥ २६ ॥ हैरण्यवतकादि क्षेत्रों में आयु तथोत्तराः ॥ ३० ॥ - अर्थ — उत्तरके क्षेत्रोंमें रहनेवाले मनुष्य भी हैमवतकादिकके मनुष्य के समान आयुवाले होते हैं । टीका १. हैरण्यवतक क्षेत्रकी रचना हैमवतकके समान, रम्यक्क्षेत्रकी रचना हरिक्षेत्रके समान और उत्तरकुरु ( विदेहक्षेत्रके अंतर्गत स्थान विशेष ) की रचना देवकुरुके समान है । ३१६ २. भोगभूमि- इस तरह उत्तम, मध्यम, और जघन्यरूप तीन भोगभूमिके दो दो क्षेत्र है । जम्बूद्वीपमें छह भोगभूमियाँ और अढ़ाई द्वीपमें कुल ३० भोगभूमियाँ हैं जहाँ सर्वप्रकारकी सामग्री कल्पवृक्षोसे प्राप्त होती है उन्हें भोगभूमि कहते हैं ॥ ३० ॥ विदेहक्षेत्र में आयु की व्यवस्था विदेहेषु संख्येयकालाः ॥ ३१ ॥ अर्थ — विदेहक्षेत्रोंमें मनुष्य और तियंचोंकी आयु संख्यात वर्षकी होती है । टीका विदेहक्षेत्र में ऊँचाई पाँचसो धनुष और आयु एक करोड़ वर्ष पूर्वकी होती है ॥ ३१ ॥
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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