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________________ मोक्षशास्त्र ३. - इस द्वीपके विदेह क्षेत्रमें विद्यमान उत्तरकुरु भोगभूमि में अनादिनिधन पृथ्वीकायरूप अकृत्रिम परिवार सहित जम्बू वृक्ष है इसलिये इस द्वीप का नाम जम्बूद्वीप है । ३१० सात क्षेत्रों के नाम भरत हैमवत हरिविदेह रम्यक हैरण्यवतैरावतवर्षाः क्षेत्राणि ॥ १० ॥ अर्थ - इस जम्बूद्वीपमें भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, वत और ऐरावत ये सात क्षेत्र हैं । हैरण्य - टीका जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में हम लोग रहते है, विदेहक्षेत्र में बीस विहरमान तीर्थंकरमें से श्री सीमंधरादि चार तीर्थंकर जम्बूद्वीपके विदेहमे विचरते है ॥ १० ॥ क्षेत्रोंके सात विभाग करनेवाले छह पर्वतोंके नाम तद्विभाजिनः पूर्वापरायता हिमवन्महाहिमवन्निषघनीलरुक्मिशिखरिणो वर्षधरपर्वताः ॥ ११ ॥ अर्थ — उन सात क्षेत्रोंका विभाग करनेवाले पूर्व से पश्चिम तक लम्वे १- हिमवत् २ - महाहिमवत्, ३ - निषेध, ४- नील, ५ - रुक्मि, और ६शिखरिन् ये छह वर्षधर - कुलाचल - पर्वत हैं [ वर्ष = क्षेत्र ] ॥। ११ ॥ कुलाचलों का रंग माजु तपनी वैडूर्य रजतहेममयाः ॥ १२ ॥ अर्थ — ऊपर कहे गये पर्वत क्रमसे १ स्वर्ण, २-चांदी, ३- तपाया सोना, ४ - वैडूर्य (नील) मरिण ५-चांदी और ६ स्वर्ण जैसे रंगके है ||१२||
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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