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________________ मगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन्तन २०९ सिद्धणं' पदका ग्यारह हजार जाप करना चाहिए। भूत, पिशाच और व्यन्तर बाधा दूर करनेके लिए णमोकार मन्त्रका जाप निम्न प्रकारसे करना होता है । इक्कीस हजार जाप करनेके उपरान्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है । सिद्ध हो जानेपर ९ वार पढकर झाड देनेसे व्यन्तर बाधा दूर हो जाती है । मन्त्र यह है - 'ओं णमो अरिहंताणं, ओं णमो सिद्धाणं, ओं णमो आइरियाणं, ओं णमो उवज्झायाणं, ओं णमो लोए सव्वसाहूणं । सर्वदुष्टान् स्नम्मय स्तम्भय मोहय मोहय अन्य अन्धय मूत्रकारय कारय ह्रीं दुष्टान् ठः ठः ठः ।' इस मन्त्र द्वारा एक ही हाथ द्वारा खींचे गये जलको मन्त्र सिद्ध होनेपर ९ बार मौर सिद्ध नही होनेपर १०८ बार मन्त्रित करना होता है | पश्चात् णमोकार मन्त्र पढ़ते हुए इस जलसे व्यन्तराक्रान्त व्यक्तिको घोट देनेसे व्यन्तर, भूत, प्रेत और पिशाचकी बाघा दूर हो जाती है । (इस मन्त्रका धर्मकार्य और मोक्ष प्राप्तिके लिए अंगुष्ठ और तर्जनी से, शान्तिके लिए अंगुष्ठ और मध्यमा अंगुलीसे, सिद्धिके लिए अंगुष्ठ ओर अनामिका से एवं सर्वसिद्धिके लिए अगुष्ठ और कनिष्ठासे जाप करना होता है सभी कार्योंकी सिद्धिके लिए पचवर्णं पुष्पोको मालासे, दुष्ट और व्यन्तरोके स्तम्भन के लिए मणियों की मालासे, रोग-शान्ति और पुत्र प्राप्तिके लिए मोतियोंकी माला या कमलगट्टोकी मालासे एवं शत्रूच्चाटन के लिए रुद्राक्ष की मालासे णमोकार मन्त्रका जाप करना चाहिए । हायकी अंगुलियोपर इस महामन्त्रका जाप करनेसे दमगुना पुण्य, रेखा खीचकर जाप करने से आठगुना, पुण्य, मूंगाको मालासे जाप करनेपर हजार गुना पुण्य, लवगोकी माला से जाप करनेसे पाँच हजार गुना पुण्य, स्फटिककी माला से जाप करनेसे दस हजार गुना पुण्य, मोतीकी मालासे जाप करनेपर लाख गुना पुण्य, कमलगट्टो की मालासे जाप करनेपर दस लाख गुना पुण्य और सोनेकी मालासे जाप करनेपर करोड़ गुना पुण्य होता है । मालाके साथ भावोकी शुद्धि भी अपेक्षित है । १४ 1 1
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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