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________________ मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन १७ भी अवस्था मे खाये, उसका मुँह मीठा ही होगा । इसी तरह इस मन्त्रका जाप कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थितिमे करे, उसे आत्मशुद्धिकी प्राप्ति होगी । इस मन्त्रको प्रमुख विशेषता यह है कि इसमे सभी मातृकाव्वनियाँ विद्यमान हैं । अत समस्त बीजाक्षरोवाला यह मन्त्र, जिसमे मूल ध्वनिरूप वीजाक्षरोका सयोजन भी शक्ति के क्रमानुसार किया गया है, सर्वाधिक शक्तिशाली है । इम मन्त्रका किसी भी अवस्था मे आस्था और लगन के साथ चिन्तन करने से फलकी प्राप्ति होती है । मेरे पास जो जन्मपत्री दिखाने आते हैं, मैं ग्रह शान्तिके लिए उन्हे प्रायः णमोकार मन्त्र का जाप करनेको कहता हूँ । प्राप्त विवरणोंके आधारपर में यह जोरदार शब्दो मे कह सकता हूँ कि जिसने भी भक्तिभावपूर्वक इस मन्त्रकी आराधना की है, उसे अवश्य फल प्राप्त हुआ है । कितने ही बेकार व्यक्ति इस मन्त्रके जापसे अच्छा कार्य प्राप्त कर चुके हैं । असाध्य रोगोंको दूर करनेका उपाय प्रात काल पद्मासन या वज्रासन लगाकर इस अद्भुत सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं । यह मन्त्र ही है । प्रतिदिन मन्त्रका जाप करनेसे • यद्यपि इस मन्त्रका यथायें लक्ष्य निर्वाण प्राप्ति है, तो भी लौकिक दृष्टि से यह समस्त कामनाओको पूर्ण करता है । अत प्रत्येक व्यक्तिको प्रतिदिन णमोकार मन्त्रका जाप करना चाहिए। बताया गया है : "ननु उवसग्गे पीड़ा, कूरग्गह-दसणं भभो संका । जइ विन हवति एए, तह वि सगुज्झं भणिज्जासु ॥ ३२ ॥ | " -नवकार-सार-थवणं - उपसर्ग, पीडा, क्रूर ग्रह दर्शन, भय, शका आदि यदि न भी हो तो भी शुभ ध्यानपूर्वक णमोकार मन्त्र का जाप या पाठ करनेसे परम शान्ति प्राप्त होती है । यह सभी प्रकारके सुखोंको देनेवाला है । अत. संक्षेप में इतना ही कहा जा सकता है कि यह मन्त्र आत्म २ -
SR No.010421
Book TitleMangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1967
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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