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________________ अग्नि कहाँ है? बसर में देखने पर यह शरीर हाड-मास का एक पिण्ड ही दिखाई विगेज गरीर मे जो अनन्त चैतन्यमय निन्मय आत्मा मानी है. उमा दर्शन कर सकने के तिए कुछ सहज ज्ञान एवं बुद्धि . ...: है। 27। आजीविका हेतु जंगत मे लकडियाँ काट-काट -, र रो , और अपना तथा परिवार का उदर पोपण किया नी आजीविका के क्रम मे वे किगी जंगल में गए • - -::"feी साटने में विलम्ब तो होगा ही, भूख भी लगेगी, . : .:: 77 सोने अपने एक माथी से कहा न पर टटग । तुम्हारे हिम्गे की लकडियाँ हम काट ---.- - हम सबके लिए भोजन तैयार कर रखना। सूखी -- -- -- अग्नि नाम गाय म लाए है, उगमे अग्नि प्रज्वनिन ---- - 7 आग बर गजाय तो अणि मी लाटी गे अग्नि ___ - और उस आणि की ना 'या भी देर वे लोग :- बार करने के लिा हा गया था उगने
SR No.010420
Book TitleMahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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