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________________ महावीर युग की प्रतिनिधि कथाएं मयोगवश शिकार की खोज मे घूमता हुआ एक भील युवक उस स्थान पर आ पहुँचा। उसने देखा कि एक पथिक मूच्छित पडा है । पाम ही उसका सुन्दर अश्व खडा है। उसने सोचा कि अवश्य ही यह पथिक प्यास से व्याकुल होकर हा मूच्छित हुआ है। उसके पास जल था । उस जल के छोटे उसने राजा के मुख पर डाले। धीरे-धीरे राजा की चेतना लौटी। भील ने अब राजा को थोड़ा पानी पिलाया और बाद में कुछ कन्द-मूल तथा रोटियां नी उसे खाने के लिए दो। इस प्रकार राजा के प्राणो की रक्षा हुई। गजा को वे म्खी-सूखी रोटियाँ उस दिन अपने छप्पन भोगो से भी
SR No.010420
Book TitleMahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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