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________________ पड़ी तो वी मूडे माग्यो धन देयर उरणा सूसगळा रतन कम्बल खरीद लिया । कम्बळ कुल मिला'र सोला हा । ईखातर एक-एक कम्बळ रा दो-दो टुकड़ा कर'र भद्रा आपणो बहुनां नै पग पूछत्रा खातर दे दिया। राजा श्रेणिक नै जद पाठा पड़ी के सगळा रतन कम्बळ सेठाणी भद्रा खरीद लिया पर उणां रा टुकड़ा कर'र बहुसां ने पग पूंछवा खातर दे दिया तो वांनै घणो अचरज हुयो । उणा रे मन में जिज्ञासा हुई के इसी मूकुमार राणियां रो पति पितरो कोमळ व्हैला । इसा सेठ-पुत्र सूजरूर मिलयो चाइजे। या मोच'र राजा श्रेणिक भद्रा नै सदेसो मोकल्यो के-हूं सालिभद्र सूमिलणो चाऊ । भद्रा राजा रो संदेसो सुण राजी हुई । वीं राजा ने सपरिवार पापणे महला तेड़िया । राजा सपरिवार उठ पधारिया। सेठाणी भद्रा राजा रो खूब स्वागत-सत्कार करियो। सेठाणी रे महल री सुन्दरता पर साही ठाठ-वाठ देख राजा दंग रैयग्यो। सालिभद्र कदैई महलां सूनीचे नी उतर्यो हो । आज राजा उरण रै महलां पधारिया हा। ईण खातर भद्रा बीनै राजा सूमिलण खातर नीच बुलायो । माता री बात सुण एक'र तो सालिभद्र नीचे श्रावण सू ना कर दियो । पण भद्रा सालिभद्र नै समझावता कयोअाज आपणां स्वामी, आपणां नाथ पधारिया है । वी थारे सू मिलगो चात्र है। तू नीचे चाल'र उरणा रा दरसरण कर। _ 'पापणा स्वामी! ''पापणा नाथ !' इसा सबद सालिभद्र पैनी बार सुरिणया हा। वो सोचवा लाग्यो-म्हूं इत री धन-सम्पदा रो मालिक हूँ। म्हनै आज ताई किणी चीज र अभाव रो अनुभव नी हुयो । फेरू म्हारै ऊपर कोई दूजो स्वामी है, नाथ है अर म्हू उण रै अधीन · हूँ। ई पराधीनता री गैह री ठेस सालिभद्र रे काळजा में लागी।
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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