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________________ प्राणी अकेलो जनम लेवे, बड़ो हुवै अर संसार में सुख-दुख भोग'र मौत री सरण लेवै । सांसारिक सुख-दुख पूरब जनम में कोड़ा करमा रा फळ है। तीर्थकर नेमिनाथ रो जनम हुयो जद याज्ञिक अर वैदिक संस्कृति रो प्रभाव बत्तो हो । बीके सामै श्रमण संस्कृति फीकी पड़गी ही। चारुकानी हिसा रो बोलबालो हो । बी समै लोगां नै अहिंसा धर्म रो उपदेश देय नै प्रभु श्रमण संस्कृति रो पाछो उत्थान करियो। कहयो जावै के छप्पन दिनां री कठोर तपस्या र उपरांत गिरनार पर्वत पर आसोज वदी एकम रै दिन प्रभु नै केवल ज्ञान हुयो। जैनागयां रे मुताबिक तीर्थकर अरिष्टनेमि श्रीकृष्ण रा आध्यात्मिक गुरु हा । 'ज्ञाता धर्म कथा' मे भगवान अरिष्टनेमि अर श्रीकृष्ण री आपसी चर्चा रा घणाई वर्णन मिले। श्रीकृष्ण अरिष्टनेमि सूघणाई प्रश्न पूछया पर वां सबां रो पालो समाधान पायो। कहयो जावै है के कृष्णजीरी पार्टी राणियां पुत्र अर परिवार रा घणाई लोग भगवान अरिष्टनेमि सू दीक्षा अंगीकार करी ही। 'यजुर्वेद' में स्पष्ट रूप सूअरिष्टनेमि रो वर्णन मिलै । सौराष्ट्र अर गुजरात में नेमिनाथ री शिक्षावां रो घणो प्रचार यो । आज पण गिरनार, सत्रुजय अर पालीतारणा जैनियां रा सिद्ध क्षेत्र मानिया जावे। २३. पार्श्वनाथ : तेइसवां तीर्थकर पार्श्वनाथ भगवान हुया । आपरो जनम वाराणसी में हुयो । आपरै पिता रो नाम राजा अश्वसेन पर माता रो वामादेवी हो आपरो गोत्र कश्यप हो पर लांछण सरप है । इतिहासकारां रै अनुसार भगवान पावं ऐतिहासिक महापुरुष है । इणां रो जनम पौष वद दसम रै दिन ईसा पूर्व ८७७ मे हुयो। कठोर तपस्या करर सम्मेदशिखर सं निर्वाण प्राप्त करियो।
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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