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________________ १२ महावीर-वाणी लोकभाषा रो प्रयोग : भगवान महावीर आपणा उपदेस लोकभाषा में दिया। वा र प्रवचनां री भाषा अर्धभागधी (प्राकृत) ही जो उरण वगत मगध अर अंग देसां में बोली जावती। महावीर रा उपदेस किणी खास वर्ग, धर्म या जाति खातर नी हा । वरणां री घरमसभा में राजा-रंक, महाजन-हरिजन, वामरण-सूद्र से जरणा समान भाव सूावता। __ महावीर सूत्र रूप में उपदेस देवता । वांरो संकलन गराधर गाथा या ग्रंथ रूप में कियो । अाज भगवान महावीर रा जै उपदेस वचन मिले, वै गणधरां पर स्थविर मुनियों द्वारा संकलित मान्या जावै । महावीर रा उपदेस ग्रंथ 'पागम' कहीज। आगम साहित्य : जैन धर्म री दिगम्बर परम्परा रो विसवास है के भगवान् महावीर री वाणी आज मूल रूप में सुरक्षित कोनी । वणारा बाद रा आचार्या याददास्ती रै आधार पर जिरण शिक्षावाँ रो संकळन कियो, वो इज अाज मिलै । परण श्वेताम्बर परम्परा मान के भगवान महावीर री शिक्षावा आज भी उगीज भाषा में प्रागम रूप में सुरक्षित है । श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा आगमां री सख्या ४५ मान । स्थानकवासी अर तेरापंथी परम्परा री मान्यता ३२ मागमां री है । ३२ आगमां रा नाम इण भांत है ग्यारह अंग १.प्राचारांग बारह उपांग १२. औपपातिक
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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