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________________ २ चवदह कुलकर __ अवपिणी काळ रे इण पहिय रै तीज काळ सुखमादुखम रो जद साध सूवत्तो वगत वीतग्यो, तद मिनखां नै दुख रो अहसास हुयी। वळपक्षां सू चीजां मिलणी वन्द होवा लागी। गुजारा खातर लोग आपस में लडबा लाग्या। से मिनख ससकित अर भयभीत हया, वां में क्रोध, लोभ, छल, प्रपंच, घमंड, जिसी राक्षसी वृत्तियां पनपवा लागी, जिमूमानव समाज असांति री आग में बलवा लागो । तद उरणारी संका मिटावरा पर समस्यावां रो समाधान करण खातर एक नई व्यवस्था रो जनम इयो । प्रा नई व्यवस्था कुळकर व्यवस्था कहीजै । सगळा मिनख मिल'र छोटाछोटा पुळ वणाया अर प्रतिभावान चोखै मिनख नै अापण कुळ रो नेता मजूर करियो। कुळ री व्यवस्था पर उगरो नेतृत्व करण खातर कुळनायक 'कुळकर' नाम सूप्रसिद्ध हुया। मननसील हुवरण ₹ कारण 'मनु' पण कहावा लाग्या । इगा री संतान मानव कही। कुळकगं री सख्या नौदह मानीजै। पैला कुळकर मनु या प्रतिवन हा। अगां लोगों ने सूरज पर चांद रै उदय अर अस्त जिसी कुदन्ती घटनावा रो भेद बतायो । दुजा कुळकर सन्मति लोगों नै नखत अर तारा रो जान कगयो । तीजा कुळकर क्षेमंकर लोगों नै जगली जिनावरां सू निरभं रैय उगानै पाळतू वरणावरण री तरकीव वताई। चौथा कुळकर क्षेमधर ना'र जिसा हिंसक जिनावरां सूअापणी रक्षा खातर लकडी पर भाटा आदि नै काम मे लेवण री कळा सिखाई। पांचवां कुळकर सीमकर लोगां में कळपवक्षा खातर हुवरण ग्राळा आपसी झगडा मेट'र हरेक कुळ रै अधिकार क्षेत्र री सीमा तै करी पर लोगां ने झगड़ा-फिसाद सूबचाया। इण काळ
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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