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________________ महावीर री प्राजा मानर गौतम महासतक कने गया पर उगने प्रभु महावीर रो संदेसो कह्यो। महासतक सदेस रं मुजब प्रापर्ण किये पर पश्चाताप कर र मातम सुद्धि कीवी । तीसमो बरस: ___ राजगृही सूदिहार कर महावीर पावापुरी रै राजा हस्तिपाल री रज्जुग सभा में पधारिया। प्रो आखरी चौमासो अठ इज पूरा हुयो । हजारों लोग प्रभु रा उपदेस सुरगण नै आया। प्रभु कयोहरेक प्राणी नै प्रापणो जीव वाल्हो है । मौत पर दुख कोई नी चाद । मिनख नै दूजा र सागै इसोईज बैवार करणो चाइजै जिसो वो खुद प्रांपणै वास्तै चामै । मोईज सांचो मिनखपणो पर धरम रो मळ है। प्रभु रा उपदेस सुगरण राजा पुण्यपाळ पण आयो हो । का पिछली रात में देख्या पाठ सुपना (हाथी. बानर, क्षीरतरू, कामको, नार, कमळ, बीज अर घड़ो) रोफळ महावीर सूपूछियो । महावार रो पड्त्तर सुण राजा पुण्यपाळ नै संसार सूविरक्ति हुयगी। वः राज वैभव छोड़र साधु धरम अङ्गीकार करियो। चौमासे रा तीन महिना पूरा हुयग्या । चौथो महीनो चालयौ हो। काती वद चवदस (अंमाक्स) रै दिन परभात र सम भगवान रज्जुग सभा में आखरी धरम देसना देयऱ्या हा । प्रभुरे मोक्ष पधारण रो समय नैड़ो जाण इन्द्र आपणै परिवार र सागै महावीर कनै पायो अर वांसू आपणो उमर बढ़ाबा सारु अरज करी। महावीर कहयो-उमर नै घटाबा अर बढ़ाबा री ताकत किरणी मे कोनी। भगवान री आ बात सुण इन्द्र मौन रैयग्यो। वो चन्दना नमस्कार कर पाछो चल्योरयो । मूल्यांकन इण भांत तीस बरसां ताई केवळीचर्या में विचरण करतां हु या प्रभु महावीर विगर जातपांत, वरगभेद अर वर्णभेद सूमैं
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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