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________________ काळोदायी फेर दूजो प्रश्न पूछियो-भगवन ! जीव खुद सुभ फळ देण आळा करम किरण भांत कर ? महावीर ल्या-काळोदायी ! ज्यू रोग री दवा कड़वी हुवरण पर भी मरीर नै फायदो पोंचावै, उगीज भांत सत्य, अहिंसा, शील,क्षमा अग्लोभ जिसी प्रवृत्तियां व्यवहार मे थोड़ी भारी लागे पण नागे उरणां रो परिणाम घणो सुखदायी हुने। इण भांत काळोदायी प्रभु और कई प्रश्न पूछिया पर उरणां रो बाछो समाधान पा'र को संतुष्ट हुयो। छाईसमो बरस : ___ गांव-गांव विहार करता हुया प्रभु महावीर राजगृही पधारिया अर गुणमील चैत्य में विराजिया । गणवर गौतम प्रभु सू घगाई तात्विक प्रश्न पूछिया अर उणारो समाधान पायो । इणीज बरस में अचळनाता पर मेतार्य गरगवर प्रनगन कर निर्वाण प्राप्त करियो । ओ चौमासो भगवान नाळन्दा में पूरो कियो। सत्ताइस बरस : ___ नाळन्दा मू विहार कर'र प्रभु विदेह जनपद कांनी होता हुया मिथिला नगरी पधारिया पर मणिभद्र चैत्य में विराजिया । अारा राजा जितसत्रु प्रभु दरसरण करण नै प्राया। महावीर री धरम देसणा सू लोग घणा प्रभावित हुआ । इन्द्रभूति गौतम सौरमंडळ, उणरं भ्रमण, प्रकास, उण रै क्षत्र आदि रे बारे में घणाई प्रश्न पूछिया । अट्ठाइसमो वरस : मिथिला सूविहार कर प्रभु महावीर विदेह रै गांवा-गांवा में विचरण कर अनेक सरधावान लोगां नै धरम देसना दीवी। कई लोग श्रमण परम मे दीक्षित हुया पर कई श्रावक व्रत अङ्गीकार करिया । यो चौमासो पण महावीर मिथिला में ईज पूरो कियो।
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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