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________________ थां विगर अभिवादन करियां उठ'र जायऱ्या हो । कांई थान मामूली शिष्टाचार रो ज्ञान कोनी ? गौतम रै इण स्पष्ट पर मार्मिक कथन सूउदक वठे रुकन्या पर बोल्या-हां मुनिवर ! म्हने इण धरम व्यवहार रो ज्ञान नी हो । अवै म्हूं प्रापरै कथन पर सरधा राखर चातुर्याम घरम परम्परा सू पंच महानतिक धरम मार्ग अङ्गीकार करणो चाऊ। उदक री उत्कट जिज्ञासा देख, गौतम उदक ने महावीर कनै लेयग्या । उदक प्रभुरी पाना पाय वारे धरम संघ में सम्मिलित हुया। तेइसमो बरस : चौमासो पूरो कर'र भगवान नाळन्दा सू विहार कर'र वाणिजगांव रै दूतिपळास चत्य में पधारिया। ओ गांव वरणज-वैपाय .रो बाछो केन्द्र हो । अठ सुदर्शन नाम रो एक बडो वैपारी हो । वो प्रभु रा अमृत वचन सुणण ने पायो । वणी भगवान सू कैई तात्त्विक प्रश्न पूछिया । इणांरो उत्तर देवतां प्रभु सेठ ने वीर पूरव भव रो सगळो हाल सुरणाय दियो। भगवान रै मुख सू वीत्यौड़े भवां रो हाण सुरण सेठ रो अन्तरमानस जागग्यो। वी नै प्रातमसरूप रो वोध हुयो अर वी महावीर सूश्रमण धरम अङ्गीकार करियो । गाथापति आनन्द अर गगवर गौतम : गणधर गौतम महावीर री आज्ञा लेयर वाणिजगांव मे भिक्षा खातर पधारिया। वी भीक्षा लेयर जद पाछा लौटा हा तद वां लोगां सूअानन्द गाथापति रै संथारा री चरचा सुगी । वी प्रानन्द श्रावक नै दरसरण देवण खातर कोल्लाग सन्निवेस पधारिया। इन्द्रभूति गौतम नै आमा देख मानन्द घणा राजी हुया ।
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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