SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवान महावीर रा . उपदेसां ने सुरगर धरम में सरधा राखणिया घणा लोगां मुनि धरम अङ्गीकार करियो। उणां में पोट्टिल अणगार रो नाम प्रमुख है । हस्तिनापुर सूप्रभु 'मोका' नगरी होता हुया वाणिज गांव पधारिया पर उठई चौमासो पूरो करियो। सतरमो बरस : विदेह प्रदेस में विचरण करता हुया महावीर राजगृही रे गुणसील चैत्य में पधारिया। अठे इण समै बौद्ध, आजीवक आदि से धरम परम्परावां रा साधु हा। में लोग समय-समय पर भेळा हुय'र ज्ञान चरवा करता । एकदा इन्द्रभूति गौतम भगवान महावीर सूपूछियो के आजीवक म्हाने पूछ है कै जै थारां श्रावक सामा. यिक व्रत में हुवे पर उरणारो कोई भांड (बरतन आदि) चोरी चल्यो जावै तो सामायिक पूरी करियां बाद वै उपरी तलास कर के नी, पर जै वे तलास करै तो आपण भांड री करै या पराये री? भगवान महावीर इण प्रश्न रो उत्तर देवता फरमायोगौतम ! वी आपण भांड री इज तलास करै, पराये री नीं। सामायिक अर पौषधोपवास करण सू उणारो भांड, अभांड नी हुवे । जी समैं वी सामायिक आदि वरत में रैवै उगीज समैं उगारो भांड, अभांड मानियो जावै। इण भांत प्रभु श्रावक धरम री विशेष जारणकारी दीवी। ओ चोमासो महावीर राजगृही में इज पूरो कियो । अठारमो बरस : राजगृह रो चौमासो पूरी करर भगवान चम्पा कांनी सू होता हुया पृष्ठचम्पा नाम रै उपनगर में विराजिया। प्रभू रे आवरण रा समीचार सुण पृष्ठचम्पा रा राजा शाळ अर युवराज महाशाळ .
SR No.010416
Book TitleMahavira ri Olkhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy