SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ म. वी. ॥ २ ॥ फिर भी मिथ्या तपसे उसी स्वर्ग में देव होना उर्स देवको अभिभूति ब्राह्मणके घर अनिसह नामका पुत्र होना ... फिर भी अज्ञानतपसे तीसरे स्वर्ग में देव होना उस देवको गौतम ब्राह्मणके घर अग्निमित्र नामका पुत्र होना फिर खोटे तपसे पांचवें स्वर्ग में देव होना उसदेवको सालंकायन ब्राह्मणके घर भारद्वाज नामक पुत्र होना ... फिर मिथ्यातपस्यासे उसी स्वर्ग में देव होना... तीसरा अधिकर ॥ ३ ॥ पूर्वकहे हुए मरीचि जीवको देव पर्यायसे चयकर अनेक योनियों में भटक शांडिल्य ब्राह्मणके घर स्थावर नामका पुत्र होना.... फिर खोटे तपसे पांचवें स्वर्गमें देव होना उस देवको विश्वभूति राजाके घर विश्वनंदी नामका पुत्र होना फिर तपसे खोटा निदान बंधकर दसवें स्वर्ग में ... ... ... ... ... देव होना स्वर्गसे चयकर उस देवको प्रजापतिराजाके घर त्रिपृष्ठ नारायण होना ... ... ... ... ... *** "" १० 22 " "" 29 33 ११ "" 77 १४ १४ त्रिपृष्ठसे अश्वग्रीव प्रतिनारायणके मारे जानेपर उसे वरत्नकी प्राप्ति होना त्रिपृष्ठ नारायणको खोटे रौद्रध्यानके फलसे सातवें नरकमें जाना उस नरकमें दुःख होनेसे विलाप करना चौथा अधिकार ॥ ४ ॥ नरक से निकल उसको वनिसिंह पहाड़पर सिंह होना ... ... ... १९ ... उस सिंहको पापके फलसे पहले नरकमें जन्म लेना " नरक से निकल हिमवान् पर्वतपर फिर भी सिंह होना उस सिंहको अजितंजयमुनिकर दिये गये उपदेशसे शांत चित्त होना फिर व्रतोंके पालनेके फुलसे पहले स्वर्ग में सिंह - केतु देव होना ... ... ... उस देवको कनकपुंख राजाके घर कनकोज्ज्वल नामका पुत्र होना फिर मुनिके उपदेशसे दीक्षा लेकर तपके प्रभावसे सातवें स्वर्ग में देव होना उस देवको वज्रसेन राजाके घर हरिषेण नामका पुत्र होना ... *** ... १७ १८ "" २२ " २३ २५ = coo पु. भा. वि. स. ॥ २ ॥
SR No.010415
Book TitleMahavira Purana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddharak Karyalaya
Publication Year1917
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy