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________________ महेश्वर महातेजा महामान्य महापूत महातपा महात्मा महादांत महायोगी महान्नती महाध्यानी हौ । · महाज्ञानी महाकारुणिक महान महाधीर महावीर महार्चाढ्य महेशिता महादाता महात्राता महाकर्मा महीधर जगन्नाथ जगद्भर्ता जगत्कर्ता जगत्पति जगज्ज्येष्ठ जगन्मान्य जगत्सेव्य जगन्नुत जगत्पूज्य जगत्स्वामी जगदीश जगद्गुरु जगद्वंधु जगज्जेता जगन्नेता जगत्प्रभु तीर्थकृत तीर्थभूतात्मा तीर्थनाथ सुतीर्थवित् तीर्थकर सुतीर्थात्मा तीर्थेश तीर्थकारक तीर्थनेता सुतीर्थज्ञ तीर्थार्ह्य तीर्थनायक तीर्थराज सुतीर्थंक तीर्थभूत् तीर्थकारण विश्वज्ञ विश्वतत्त्वज्ञ विश्वव्यापी विश्ववित् विश्वाराध्य विश्वेश विश्वलोकपितामह विश्वाग्रणी विश्वात्मा विश्वार्च्य विश्वनायक विश्वनाथ विश्वेज्य विश्वधृत् विश्वधर्मकृत् सर्वज्ञ सर्वलोकज्ञ सर्वदर्शी सर्ववित सर्वात्मा सर्वधर्मेश सार्व सर्वबुधाग्रणी सर्वदेवाधिप सर्व लोकेश सर्वकर्महत् सर्वविद्येश्वर सर्वधर्मकृत् सर्वशर्मभाक् - तुम ही हो । हे तीन जगत्के स्वामी इन कहे हुए एकसौ आठ नामोंसे तुमारी स्तुति की इस लिये स्तुति करनेवाले मुझको तुम करुणा करके अपने समान करो । हे नाथ ! सोने और रत्नोंकी अकृत्रिम कृत्रिम आपकी तीनों लोक में जितनी प्रतिमा हैं उन सबकी भक्तिके रागके वशमें हुआ मैं हमेशा भक्तिपूर्वक आपकी यादगारी होनेके लिये स्तुति व पूजा करता हूँ ।
SR No.010415
Book TitleMahavira Purana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddharak Karyalaya
Publication Year1917
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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