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________________ मसार के इतिहास म उनीसवीं शती का उत्तराद्ध अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पश्चिम म कालमाम्म डारविन, टाल्स्याय नादि, भारत म घरचन्द्र विद्यामागर दयानद भरस्वती, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आदि महान् वैज्ञानिक, ममाज सुधारक और साहित्यिक इमी युग में हुए। यह युग वैज्ञानिक, राजनैतिक, सामाजिक, मास्कृतिक, धार्मिक, माहित्यिक अादि सभी प्रकार के आन्दोलनो का था। चारो ओर ममा समाजों और व्याख्याना की धूम मची हुई थी। असाहित्यिक अान्दोलनी की चर्चा ऊपर हो चुकी है। हिन्दी साहित्य भी मनासमाजा की स्थापना में अपेक्षाकृत पीछे नहीं रहा । भारतेन्दु ने १८७० ई० मे 'कविता-- वर्धिनीसमा' और १८७३ ई० में 'तीय समाज' का स्थापना की। तत्पश्चात 'कविकुल-- कामदी-सभा, हिन्दीउद्धारिणी-प्रतिनिधिमध्य-सभा २, विज्ञान प्रचारिणी--ममा, "तुलसी स्मारक-ममा ४ मित्र समाज'", 'भाषा संवर्धिनी-मभा', 'कवि समाज', 'मातृभाषा प्रचारिगी-मभा'८, 'नागरी प्रचारिणी-मभाई अादि की स्थापना हुई । . भारतेन्दु, के समय में ही हिन्दीप्रचार का उद्योग हो रहा था । कवियों ने भी भाषा और भाहित्य की ममस्याओं पर कविताएँ लिखा । उन्होंने हिन्दी का अहित करने वाली उर्दू और अँगरजी का विरोध किया । १८७४ ई० में भारतेन्दु ने 'उर्दू का स्यापा' कविता लिग्बी---- भाषा भई उपद जग की अब तो इन अन्यन नीर डुबाइए। १८७७ ई. में उन्होंने हिन्दीवधिनी-मभा ( प्रयाग ) के तत्वावधान में 'पद्य में हिन्दी की उन्नति' पर व्याख्यान दिया। तदुपरान्त प्रतापनारायण मिश्र ने 'तृप्यन्ताम्' (१८६१ ई.) राधाकृष्णदास ने मैकडानेल पुष्पांजलि' (६ ई. ) बालमुकुन्द गुप्त ने 'उर्दू का उत्तर' ( Eor ई० ) मिश्रबन्धु ने 'हिन्दी अपील' ( १६०० ई० ) श्रादि कविताएँ लिम्वी । ५० रविदत्त शुक्ल ने 'देवाक्षर चरित्र-प्रहमन लिया जिसमे उर्ट की गडबडी के विनोदपूर्ण दृश्य अकित किए गए । नागरी-प्रचारिणी-मभा के संस्थापक श्यामसुन्दरदास रामनारायण १. राधाचरण गोस्वामी द्वारा सं० १९३२ में स्थापिन । • प्रयाग में १८८४ ई० में स्थापित । ३ सुधाकर द्विवेदी द्वारा काशी में स्थापित । ४. सुधाकर द्विवेदी द्वारा स्थापित । ५. कार्तिक प्रसाद ग्वत्री द्वारा शिलांग में स्थापित । ६. अलीगढ, स्थापक तोताराम । ७. पटना ८ रांची । काशी १९७०
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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