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________________ श्राधार कवि या उसक वणित पात्र व स्थ यी गाव की मिन्नवा हा है जहा कवि या उसके कल्पित पात्र के हृदय मे मृदु भाव की प्रधानता रही है वहा उमने प्रकृति के रमणीय रूपों का ही निपरण किया है, उदाहरणार्थ--- किरण नुम क्यो बिग्वरी हा श्राज, रगी हो तुन किमके अनुराग ? स्वर्ण सरसिज किंजल्क समान, उडाती हो परमाणु पराग । धरा पर झुकी प्रार्थना सदृश मधुर मुरली मी फिर भी मौन, किसी अज्ञात विश्व की विकल वेदना दूती सी तुम कौन ?' जहा कवि या उसके कल्पित पात्र का कोमल सौन्दर्यस्वप्न टूट गया है और उसने कठोर तर्क द्वारा प्रकृति की नाशकारी क्रान्ति का भावन किया है, जहा उसके हृदय में रति के स्थान पर घृणा, भय या क्रोध का उदय हुश्रा है, वहा उम्ने प्रकृति के उग्र और भंयकर रूप का ही निरूपण किया है, उदाहरणार्थ पंत का 'निष्ठुर परिवर्तन' । विभाव की दृष्टि से मति चित्रण के दो रूप थे-उद्दीपन और आलम्बन । उद्दीपन रूप में प्रकृति का चित्रण मिमी रस या भाव की अनुकुल भूमिका के निर्माण के लिए किया गया, जैसे मैथिलीशरण गुप्त की 'पंचवटी' के प्रारम्भ में लक्ष्मण के प्रति शूर्पणखा के स्थायी भाव रति की मम्यक अभिव्यंजना करने के लिए तदनुकुल उद्दीपन विभाव का चित्रगण अपेक्षित था। यदि किसी साधारण परिस्थिति में ही लक्ष्मण अपने काम-संयम का परिचय देते तो उसमे उनका कोई विशेष गौरव न होता । व्यभिचार की प्रत्येक मुविधा होते हुए भी उन्होंने इन्द्रियनिग्रह किया यह उनके चरित्र की महिमा थी । इन्ही भावों की सुन्दरतर मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए उद्दीपन रूप में प्रकृति का चित्रण किया गया । जहाँ कवि या कवि-कल्पित पात्र ने प्रकृति को तटस्थ भाव से देखा है, वहा उसका चित्रण पालम्बन-रूप में किया है, जैसे पायक' का प्रारम्भिक पद । निरूपित और निरूपयिता के सम्बन्ध की दृष्टि से भी प्रकृति-चित्रण दो प्रकार से हुपा-दृश्य-दर्शक-सम्बन्ध-सूचक और तादात्म्य-सूचक ! जहाँ वस्तूपस्थापन पद्धति पर चलते हुए कवि या उसके कल्पित पात्र ने अपने को प्रकृति मे भिन्न मान कर उनका रूपाकन किया है, वहा दृश्यदर्शक सम्बन्ध की व्यंजना हुई है, यथा: m arwa १. 'किरण', जयशंकरप्रसाद झरना', पृष्ट । • प्रामिक कवि २
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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