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________________ एकाधिक कविताम्राग नमलीन हो गई एकराय हुए म्य श्री के उपवास निर्णा इच्छाश्री निषाण का लाभ हाता मूल अतीत कीजिए एकत्रित उप श्य अनपहचान पाला अमीत हो गया हे एक में अधिक कविता द्वारा नल में लीन हो गई एक मत हुए सम्न्रीक उपवास निर्दोष कुत्सित इच्छात्रा निर्वाण लाभ होता हैं संशोधित रूप व्यतीत कीजिए एकत्र उह श पहचान कापालिक श्रजेय ... बाबूराव विष्णु पराडकर रामचन्द्र शुक पूर्णसिंह गिरिधर शर्मा 33 सत्यदेव गणेशशंकर विद्यार्थी गिरिजाप्रसाद द्विवेदी c उपसर्ग-प्रत्यय सम्बन्धी संशोधन लेखक सूर्यनारायण दीक्षित प्रमथनाथ मट्टाचार्य मत्यदेव पूर्णसिह }} वररुचि का समय कविता क्या है कन्यादान प्राचीन भारतमे राज्याभिषेक " अमेरिका भ्रमण |४| श्रात्मोत्सर्ग भारतीय दर्शन चन्द्रहास का उपाख्यान राजपूतनी अमेरिका की स्त्रियाँ सच्ची वीरता " रचना " ४ 13 ४ ४ पत्र १६०६ १६११ " 99 23 " : 39 सन् १६०६ " १६०८ १६०६ [ २३३ لا
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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