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________________ 126 महावीर का जीवन सदेश बौद्ध धर्म का यह हुअा प्रधान स्वरूप । महायान पन्य ने इस स्वरूप का विस्तार बहुत किया है। मेरा अभिप्राय है कि साम्यवादी समाज जब धर्म का प पकडेगा तब उसे इसी वर्ग में दाखिल होना पड़ेगा। साम्यवादी लोग ईश्वर को, आत्मा को और इन दोनो पर अाधार रखने वाले धर्मों का इन्कार करते हैं। __ अगर हम गौर से सोचे तो ईश्वर केन्द्रिक और प्रात्म केन्द्रिक धर्म भी जीवन-परायण तो होते ही हैं। इसलिये इन तीनो का सामजस्य वेठ सकता हे और वही करने के दिन अव आये है। केवल परमात्मा को ही प्राधान्य देने वाला वेदान्त धर्म, तपस्या और अहिंसा द्वारा आत्म-शक्ति का साक्षात्कार करने वाला जैन धर्म और सम्यक् दृष्टि द्वारा जीवन को शुद्ध और दुख मुक्त करने वाला बौद्ध धर्म इन तीनो का समन्वय करने के दिन अव आये हैं । वौद्धो का धर्म-प्राधान्य, जनो की अहिंसा-तपोमूलक आत्मनिष्ठा और विश्वात्मैक्य को परमपुरुषार्थ मानने वाले वेदाल को ब्रह्मपरायणता या ब्रह्मनिष्ठा-तीनो का समन्वय करने से विश्वशान्ति की, सत्ययुग की और सर्वोदय की स्थापना होगी। बुद्ध परिनिर्वाण के ढाई हजार वर्ष पूरे हुए हैं। ऐसे मौके पर सारी दुनिया मे वुद्ध भगवान् के उपदेश की अोर लोगो का ध्यान गया है। आज सव देशो मे बुद्ध के उपदेश का स्मरण हो रहा है। यही मुहर्त है कि हम बुद्ध के बताये हुए अवर के सिद्धान्त को कार्यान्वित करने का अहिंसा का तरीका फिर से आजमावे । जो बुद्ध ने कहा या गाँधीजी ने देश के सामने रखा वही अहिंसा का सिद्धान्त महावीर ने बताया था, इतना कहने से नहीं चलेगा। अहिंसा के सन्देश को आज के युग को लेकर कार्यान्वित कैसे करे यही मुख्य सवाल है। अब जब आप सेमिनार चलाना चाहते है तब उसके लिए कुछ सशोधन के विषय आपके सामने रखना चाहता हूँ। सेमिनार के मानी ही हैं सशोधन करने वाला विद्वत्मण्डल । इसलिये कुछ महत्व के सवाल हम अपने सामने रखकर उनका सशोधन~मनन करे। मैं मासाहार को पाप समझता हूँ। मैं मानता हूँ कि प्राणियो को मारकर उनका मास खाने का अधिकार मनुष्य को नही है । अगर समस्त मनुप्य जाति मासाहार का त्याग करे तो मुझे सतोष होगा।
SR No.010411
Book TitleMahavira ka Jivan Sandesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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